रिपोर्ट: मनमोहन सेजू
बाड़मेर. कहते है कि किसी जानवर की कीमत उसकी खूबियों पर ही निर्भर करती है. शायद यही वजह है कि सरहदी बाड़मेर के एक घोड़े की कीमत करोड़ो में आंकने के बावजूद भी उसके मालिक ने उसे नहीं बेचा है. अपने बच्चों से भी ज्यादा ख्याल रखने वाले बाड़मेर के रूपसिंह खारा के लिए उनका घोड़ा ‘बाज’ जिगर का टुकड़ा है. बाज को वह काजू बादाम खिलाते है और उसका रहने का ठिकाना भी मौसम के हिसाब से बदलता रहता है.
राज्य के हर पशु मेले में सर्वश्रेष्ठ घोड़े का खिताब जीत चुका ‘बाज’ गुजरात के भी कई आयोजनों में अपना परचम लहरा चुका है. बाड़मेर के खारा राठौड़ान निवासी रूपसिंह 15 साल से घोड़ों के शौकीन है औऱ उनके पास वर्तमान में 3 घोड़े है. इस बार बाड़मेर के तिलवाड़ा पशु मेले में भी बाज ने बाजी मारी है. तिलवाड़ा के प्रसिद्ध राव मल्लीनाथ पशु मेले में हर वर्ष की भांति इस बार भी घुड़दौड़ का आयोजन किया गया. घुड़दौड़ प्रतियोगिता में करीब 2 दर्जन से अधिक घोड़ों ने भाग लिया लेकिन बाज ने एक बार तिलवाड़ा का मैदान फतह कर लिया है.
घोड़े के मालिक रूपसिंह खारा का कहना है कि उन्होंने महज 17 महीने का बच्चा लिया था. जिसके बाद बच्चों से भी ज्यादा देखभाल करके बड़ा किया है. इतना ही नहीं मौसम के हिसाब से बाज को खाना खिलाया जाता है. वह बताते है कि अब तक बालोतरा के तिलवाड़ा में 3 घुड़दौड़ की प्रतियोगिता जीत चुका है. दो बार जैसलमेर, सांचौर, गुजरात मे भी दौड़ में अव्वल रह चुका है.
रूपसिंह बताते है कि बाज को डाइट में मखन, काजू, बादाम भी खिलाए जाते है. वह बताते है कि कोई उन्हें 1 करोड़ रुपये दे भी दे तो वह उसे बेचेंगे नहीं. वह बताते है कि उनका घोड़ा सिंधी नस्ल का है. इस घोड़े का नाम बाज है. जिस तरह से बाज उड़ान भरता है, उसी तरह से उनका घोड़ा भी उड़ान भरता है.
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