रिपोर्ट : मनमोहन सेजू
बाड़मेर. राजस्थान में महिलाओं के सबसे बड़े त्यौहार कहे जाने वाले गणगौर पर्व की धूम इन दिनों बाड़मेर की लंबी चौड़ी सड़कों से तंग गलियों में नजर आ रही है. 16 दिनों के इस पर्व में अब परंपरा के साथ आधुनिकता का भी तड़का लगा नजर आता है. पहले के दौर में जहां पारंपरिक परिधानों के साथ गणगौर की सवारी निकलती थी वहीं अब पारंपरिक वेश के साथ साड़ी और जींस मे भी पूजन अर्चना होती नजर आती है.
बाड़मेर जिले में इन दिनों गणगौर की धूम नजर आ रही है. 16 दिन तक चलने वाले गणगौर में महिलाएं सजधज कर गणगौर की पूजा करती है. आधुनिकता के इस दौर में महिलाएं पुरानी परंपरा के साथ-साथ आधुनिकता की ओर बढ़ रही है. घर-घर घुड़ले की पूजा के बाद अब पक्की गणगौर की पूजा का दौर सरहदी बाड़मेर में शुरू हो गया है. बाड़मेर शहर के हर गली मोहल्ले में इन दिनों शिव-पार्वती के पावन पर्व की धूम नजर आ रही है.
वेणासर तालाब में होगा विसर्जन
गणगौर को लेकर महिलाएं और युवतियां सज-धज कर गणगौर की सवारी निकाल रही है. ढोल और थाली के टन्कारो के बीच थिरकते कदम अलग ही माहौल बनाते नजर आते है. महिलाएं टोलियों में घर-घर जाकर गणगौर पूजन के आमंत्रण देती नजर आ रही है. वहीं गणगौर की मुख्य सवारी शहर की गलियों से निकल कर बाड़मेर के वेणासर तालाब के किनारे पहुंचेगी और यहां विसर्जित की जाएगी.
बदल रहा है ट्रेंड
मुख्य आयोजन में शहर भर की गणगौर शरीक होगी. बाड़मेर शहर की निकिता बताती है कि पारंपरिक दौर के साथ-साथ आधुनिकता के इस दौर में महिलाओ के वेशभूषा का ट्रेंड बदल रहा है. पहले जहां महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में गणगौर की पूजा करती थी. वहीं अब महिलाएं जींस और साड़ी पहनकर पूजा करने आ रही है. वहीं शहर की नीलम बताती है कि महिलाओं के सुहाग का पर्व गणगौर बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. महिलाएं सजधज कर गणगौर की पूजा करने आ रही है. अब आधुनिकता के इस दौर में महिलाएं साड़ी व जींस पहनकर पूजा भी कर रही है.
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