रिपोर्ट : मनमोहन सेजू
बाड़मेर. सरहदी बाड़मेर के लिए यह बुरी खबर है कि पिछले दो सालों में यहां एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ी है. जिले में अब तक 2215 एचआईवी मरीज पंजिकृत हुए हैं. एचआईवी रोकथाम को लेकर जितने प्रयास होने चाहिए, उतना चिकित्सा महकमा नहीं कर पा रहा है. उपचार के लिए दवा तो दी जा रही है, लेकिन न तो मौतें थम रही हैं और न ही रोगी.
बाड़मेर जिले में प्रतिवर्ष एड्स रोगियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ मौत का आकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. राजस्थान एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से रोकथाम और काबू करने के प्रयासों के बावजूद यह लाइलाज बीमारी थार में घातक बनती जा रही है. जिले में वर्ष 2012 में जिला अस्पताल में एआरटी सेंटर स्थापित हुआ. साल 2013 से लेकर 2017 तक 796 मरीज पंजिकृत थे जो नवंबर 2022 तक तीगुने हो गए. 2022 के आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब 2215 मरीज हो गए हैं. वहीं मौतों की संख्या का ग्राफ प्रतिवर्ष बढ़ रहा है. अब तक जिले में 404 एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है.
जिला अस्पताल अधीक्षक डॉ. बीएल मंसुरिया का कहना है कि जिले में 2215 मरीज पंजिकृत हैं. साल 2013 से 2018 तक 796, 2018 में 179, 2019 में 150, 2020 में 119, 2021 में 129 और नवंबर 2022 तक 149 मरीज पंजिकृत हुए हैं. इनमें से 41 मरीज ऐसे है जो स्वेच्छा से दवाइयां नहीं ले रहे हैं. ज्यादातर मरीज प्रवासी हैं जो बाड़मेर से अन्य राज्यों में मजदूरी पर जा रहे हैं.
जिले के बाहरी प्रदेशों में काम करनेवाले सभी लोगों का रिकार्ड विभाग के पास नहीं होने से नए-नए रोगी सामने आ रहे हैं. चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बाड़मेर ब्लॉक में सर्वाधिक एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं. सबसे ज्यादा बाड़मेर में 329, चौहटन में 306, गुड़ामालानी में 154, शिव में 148 और धोरीमन्ना में 112 मरीज पंजिकृत हैं.
एआरटी सेंटर प्रभारी अबरार मोहम्मद का कहना है कि एचआईवी संक्रमितों को जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर से निःशुल्क दवाइयां मुवैया करवाई जा रही हैं. जिले की एआरटी सेंटर में 2215 मरीज पंजिकृत हैं, जिसमें अब तक 404 मरीजों की मौत हो चुकी है.
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