रिपोर्ट-मनमोहन सेजू
बाड़मेर.कहते हैं कि मेहनत और एकाग्रता ही इंसान की सफलता का आधार बनती है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बाड़मेर के चौहटन के पुलिस उपाधीक्षक धर्मेंद्र डूकिया पर यह बात पूर्ण रूपेण सटीक बैठती है. खुद का गुजर बसर करने के लिए कोचिंग में पेपर बनाने और कॉपियां चैक करने का भी काम करते थे. आज आरपीएस धर्मेंद्र डूकिया सीमावर्ती बाड़मेर जिले के चौहटन पुलिस उपाधीक्षक की कमान संभाले हुए है.
नागौर के कुचेरा गांव के रहने वाले धर्मेंद्र डूकिया ने अपनी मंजिल को प्राप्त करने के लिए एकाग्रता और मेहनत को सबसे बड़ा अधिकार बनाया है और यही वजह है कि वह 7 से 9 साल की अपनी जयपुर और दिल्ली की पढ़ाई के दौरान महज दो बार अपने गांव आए. उन्होंने अपने नजदीकी रिश्तेदारों की भी शादियां तक अटेंड नही की थी. इसकी वजह से कई लोग इनसे नाराज भी हुए लेकिन उन्होंने एकाग्रता को नहीं छोड़ा.यही वजह रही कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पर फोकस रखा.
कोचिंग के दौरान उन्होंने खुद के गुजर बसर के लिए प्रश्न पत्र तैयार करना, कॉपियां चैक करने का काम किया. अपने आत्मनिर्भर बनने के मानस को कई छोटे-छोटे कार्य कर पूरा किया. बाड़मेर के चौहटन में वर्तमान में पुलिस उपाधीक्षक पद पर काम करने वाले अनुभव को लेकर डूकिया बताते है कि पर्दे की पुलिस और हकीकत की पुलिस में रात दिन का अंतर है. सिनेमा में दिखने वाली पुलिस सिंघम स्टाइल में मारधाड़ करती है जो कि मनोरंजन का साधन होती है जबकि राजस्थान पुलिस का काम अपराधियो में डर आमजन में विश्वास को कायम रखना है, मनोरंजन नही करना.
डूकिया पुलिस के काम को बेहद चुनोतिपूर्ण और हमेशा नया सिखाने वाला बताते है. डूकिया सार्वजनिक आयोजनों में अपने युवा काल के संघर्षों और मेहनत को साझा करते नजर आते है.
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