बाड़मेर में बनेगी देश की पहली इको फ्रेंडली रिफाइनरी, ये होगी खासियत

डेमो पिक.
बाड़मेर जिले के पचपदरा में रिफाइनरी के लिए मंगलवार को एचपीसीएल के साथ एमओयू होने जा रहा है. यह रिफाइनरी देश की पहली इको फ्रेंडली रिफाइनरी होगी.
- ETV Rajasthan
- Last Updated: April 17, 2017, 4:14 PM IST
बाड़मेर जिले के पचपदरा में रिफाइनरी के लिए मंगलवार को एचपीसीएल के साथ एमओयू होने जा रहा है. यह रिफाइनरी देश की पहली इको फ्रेंडली रिफाइनरी होगी.
पचपदरा रिफाइनरी बीएस-6 मानकों पर बनेगी और इसमें बनने वाला डीजल, पेट्रोल बीएस-6 मानकों पर होगा, जो बहुत कम प्रदूषण फैलाता हैं. अभी देश में ज्यादातर रिफाइनरी बीएस-3 या बीएस-4 मानकों पर ही चल रही हैं.
पचपदरा रिफाइनरी में वेस्ट के रूप में पैटकॉक निकलेगा, जिसे बिजली बनाने के काम में लिया जाएगा. इससे करीब 250 मेगावाट बिजली तैयार की जाएगी, जिसके लिए रिफाइनरी में ही पावर प्लांट लगाया जाएगा.
बीएस-6 मानकों के कारण प्रोजेक्ट की लागत छह हजार करोड़ बढ़ गई है, जिसके लिए 43 हजार करोड़ का बटज रखा गया है. वहीं रिफाइनरी में 30 साल तक उत्पादन हो सकेगा.नए एमओयू में बाहर से क्रूड ऑयल लाकर उत्पादन करने का भी प्रावधान रखा गया है. पहले यह प्रावधान नहीं था. इसकी क्षमता 9 मिलियन टन सालाना की होगी.
एमओसयू के बाद अगर काम जल्द शुरू होता है तो चार साल में रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी. रिफाइनरी के साथ पेट्रोकेमिकल हब भी बनेगा.
अब सबकी निगाहें एमओयू के बाद काम शुरू होने पर टिकी हैं. सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 2021 के अंत तक रिफाइनरी उत्पादन शुरू कर सकती है.
पचपदरा रिफाइनरी बीएस-6 मानकों पर बनेगी और इसमें बनने वाला डीजल, पेट्रोल बीएस-6 मानकों पर होगा, जो बहुत कम प्रदूषण फैलाता हैं. अभी देश में ज्यादातर रिफाइनरी बीएस-3 या बीएस-4 मानकों पर ही चल रही हैं.
पचपदरा रिफाइनरी में वेस्ट के रूप में पैटकॉक निकलेगा, जिसे बिजली बनाने के काम में लिया जाएगा. इससे करीब 250 मेगावाट बिजली तैयार की जाएगी, जिसके लिए रिफाइनरी में ही पावर प्लांट लगाया जाएगा.
बीएस-6 मानकों के कारण प्रोजेक्ट की लागत छह हजार करोड़ बढ़ गई है, जिसके लिए 43 हजार करोड़ का बटज रखा गया है. वहीं रिफाइनरी में 30 साल तक उत्पादन हो सकेगा.नए एमओयू में बाहर से क्रूड ऑयल लाकर उत्पादन करने का भी प्रावधान रखा गया है. पहले यह प्रावधान नहीं था. इसकी क्षमता 9 मिलियन टन सालाना की होगी.
एमओसयू के बाद अगर काम जल्द शुरू होता है तो चार साल में रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी. रिफाइनरी के साथ पेट्रोकेमिकल हब भी बनेगा.
अब सबकी निगाहें एमओयू के बाद काम शुरू होने पर टिकी हैं. सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 2021 के अंत तक रिफाइनरी उत्पादन शुरू कर सकती है.