रिपोर्ट: ललितेश कुशवाहा
भरतपुर. राजस्थान का भरतपुर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) की वजह से खास पहचान रखता है, लेकिन पान (Paan)की खेती के मामले में भी पीछे नहीं है. वैसे तो भरतपुर जिले में पारंपरिक खेती का चलन है. इसके बावजूद भी एक दर्जन गांव के किसान पान की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. भरतपुर के पान की मांग देश सहित विदेशों में भी है. पान की खेती को विशेष रूप से तमोली जाति के 50 फीसदी लोग करते हैं. साथ ही इस समाज के लिए यह खेती रोजगार का एक बहुत बड़ा साधन है.
बता दें कि पान की खेती करने वाले किसानों ने कोरोना काल में मंदी की मार झेली, लेकिन इस साल अच्छे मुनाफे के संकेत मिल रहे हैं. इस बार जिले में करीब 100 बीघा जमीन पर पान की फसल होती है. हालांकि इस बार खेती का दायर सिमटा है, क्योंकि लगातार कई साल हुए घाटे के बाद 50 फीसदी किसानों ने इस खेती से मुंह फेर लिया है.
भरतपुर के इन गांवों में होती है पान की खेती
किसान चंदन ने बताया कि जिले के बयाना, वैर – भुसावर उपखंड़ों के उमरैण, खरैरी, बागरैन, खानखेड़ा सहित आधा दर्जन गांवो में पान की खेती तमोली जाति के किसानों द्वारा की जाती है. इस फसल को करने में मेहनत अधिक लगती है. सबसे पहले खेतों में पत्थरों की दीवार बनाई जाती है. उसके बाद छाया के लिए घास फूस का छप्पर डालने के साथ ही बीच बीच में हजारों की संख्या में लकड़ी के सरकंडे लगाए जाते हैं. एक दिन में करीब पांच से छह बार पानी का छिड़काव किया जाता है. इस फसल की पैदावार के लिए सरसों की खल, शहद ,दूध और दही सहित करीब 70 से 80 पदार्थ डाले जाते हैं, तब जाकर पान की फसल तैयार होती है.
इस बार बंपर पैदा होने का अनुमान
भरतपुर के पान के पत्तों की मांग देश में होने के साथ साथ विदेश में भी काफी है. दिल्ली, मुंबई, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, वाराणसी और बुलंदशहर में सप्लाई किए जाते हैं. इसके अलावा अच्छी गुणवत्ता और स्वाद के लिए जाने जाने वाले पत्तों को पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अरब देशों में भी सप्लाई होती है. वहीं, साल 2020 और 21 के बाद वर्ष 2022 में पान की बंपर पैदा होने का अनुमान है. पान के भाव और ग्राहकी से पान की खेती करने वाले किसान खुश नजर आ रहे हैं. इस बार पान 40 से 250 प्रति सैकड़ा बिक रहा है. जैसा पान होता है उसी भाव से मंडी में बिकता है. वहीं, एक बीघा भूमि पर पान की पैदावार से 90 से एक लाख की आय हो जाती है, जिसमें लागत भी शामिल है.
100 बीघा खेत में होती है पान की फसल
किसान पदम ने बताया कि जिले के करीब 100 बीघा भूमि में पान की फसल होती है. इस फसल को सर्दी में अधिक नुकसान होने डर भी रहता है. वहीं सर्दी , ओलावृष्टि से नुकसान की संभावना बनी रहती है. साथ ही कहा कि कोरोना काल में काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था, लेकिन प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिला. इस कारण अब तमोली जाति के 50 फीसदी लोग इस खेती से पलायन कर रहे हैं.
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