रिपोर्ट – ललितेश कुशवाहा
भरतपुर. देश में आयोजित होने वाले विभिन्न दंगलो में पुरुष व महिला दोनों पहलवान भाग लेते हैं, लेकिन यहां सिर्फ महिला पहलवान ही! उत्तर भारत के राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के अखाड़े कई दशकों तक देश के सर्वश्रेष्ठ पहलवानों को तैयार करने के साथ ही दंगल कराने के लिए काफी प्रसिद्ध रहे हैं. आपको आज एक ऐसे दंगल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें सिर्फ महिला पहलवान ही भाग लेती हैं. ऐसा अनोखा दंगल राजस्थान के भरतपुर निवासी यदुवीर सिंह सिनसिनी (Bharatpur resident Yaduveer Singh Sinsini) 26 साल से लगातार चला रहे हैं.
हर साल दो दिसवीय विशाल महिला कुश्ती दंगल (women’s wrestling match) का आयोजन सिनसिनी करवाते हैं. इस कुश्ती दंगल में ज़िला, राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का दमखम दिखा चुकी महिला पहलवान भाग लेती हैं. इस दंगल में विजेता पहलवानों को गुर्ज, पट्टा सहित इनाम राशि भी दी जाती है.
सिनसिनी ने बताया पहले कुश्ती पुरुषों का खेल था. समय बदला तो महिलाएं भी इस खेल में हाथ आजमाने लगीं. सन 1996 में पहली बार ओलंपिक खेलों (olympic games) में महिला कुश्ती को शामिल किया गया. इसी के चलते मैंने तीन बेटी व तीन भांजियों को पहलवानी सिखाना शुरू किया. जब पांच बेटियां दाव पेंच सीख गईं, तो उन्हें एक कुश्ती मुकाबले के लिए दंगल लेकर गया. वहां आयोजकों ने दुत्कार कर भगा दिया. उसी दिन से फैसला किया कि मैं बेटियों को पहलवानी सिखाऊंगा और हर साल महिला कुश्ती दंगल का आयोजन शुरू हुआ.
उन्होंने बताया 1996 से अब तक हर साल 30 नवम्बर व 1 दिसंबर को राज मंदिर स्कूल के खेल मैदान में बिना किसी भेदभाव के महिला कुश्ती दंगल करवाया जा रहा है. इस साल करीब 72 महिला पहलवान राजस्थान, यूपी, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों से यहां पहुंचीं. इस साल दंगल में भारत केसरी गामिनी चाहर आगरा, राजस्थान केसरी सुमन शर्मा जयपुर, जिला केसरी दीक्षा भरतपुर ने खिताब जीता.
यदुवीर सिंह के मुताबिक बाहर से आने वाली महिला पहलवानों और उनके कोचों को महारानी किशोरी व्यायाम शाला में रुकवाने और सत्कार की निशुल्क व्यवस्था कराई जाती है. उहोंने कहा कि कुछ समाज सेवियों की मदद से यह संभव होता है. बता दें कि यदुवीर सिंह की तीन बेटियां नीशू फौजदार, कुमकुम फौजदार, आस्था सिनसिनवार हैं और हेमा फौजदार व सीमा कुंतल दो भांजियां हैं. इनमें से चार बेटियां खेल कोटे से सरकारी जॉब पा चुकी हैं. पांचों की शादी भी हो चुकी है. शादी के बाद भी पांचों लड़कियों को पहलवानी की कोचिंग दे रही हैं.
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