दीपक पुरी, भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर शहर के मल्टीपरपज चौराहे पर एक अनूठी आस्था देखने को मिलती है. यहां प्रतिवर्ष आषाढ़ के महीने के पहले सोमवार को एक मेला लगता है. इस मेले में बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को लेकर पहुंचते हैं. जहां बीच चौराहे पर मुर्गे से छोटे बच्चों की नजर उतारी जाती है. लोगों की मान्यता है कि आषाढ़ के महीने में चौराहे पर कुंआ वाले बाबा का मेला लगता है और बाबा की पूजा की जाती है. उसी दौरान मुर्गे से नजर उतरवाने से छोटे बच्चों के सर से बुरा साया दूर होता है. इस मान्यता को मानने वाले बड़ी दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
इतना ही नहीं राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश के आसपास के लोग भी वहां पर छोटे बच्चों की मुर्गे से नजर उतरवाने के लिए पहुंचते हैं. मुर्गे वाले आवाज लगाकर लोगों को बुलाते हैं और फिर उनकी नजर उतारते हैं. कई वर्षों से यह अनूठी मान्यता देखने को मिल रही है. पुजारी जोकि मुर्गे से लोगों की नजर उतारता है, उसने बताया था कि हमारे पूर्वज इस काम को करते आ रहे हैं. मुर्गे से नजर उतारते हैं और पानी के छींटे देकर बुरी बला को दूर करते हैं.
लेकिन अब इसे आस्था कहा जाए या अंधविश्वास यह तो एक विचार वाला विषय है. हालांकि पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पास में ही यह मेला लगता है. बीच चौराहे पर भीड़ भाड़ होती है. जिसके चलते यातायात व्यवस्था भी पूर्ण रूप से बाधित हो जाती है. लेकिन सुबह से ही लोग पहुंचते हैं और शाम तक यह अंधविश्वास का खेल चलता रहता है.
50 सालों से चलता है मेला
बता दें कि भरतपुर में यह मेला हर साल अषाढ़ के महीने में आयोजित किया जाता है. करीब 50 सालों से इस मेले का आयोजन किया जा रहा है. खास बात यह है कि इस मेले का आधार केवल लोगों की मान्यता और जनविश्वास है. इस मेले के आयोजन के लिए कोई समिति नहीं है. अषाढ़ महीने के हर सोमवार यानी महीने में करीब 4 दिनों तक यह मेला आयोजित किया जाता है. लोग सोमवार को सुबह से ही यहां आना शुरू कर देते हैं. यहां चाट-पकौड़ी की दुकानें लगाई जाती हैं. साथ ही बच्चों के मनोरंजन के लिए तमाम व्यवस्थाएं रहती हैं.
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