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Sucess Story: ये ग्रामोदय फाउंडेशन जैविक खाद से उगा रही सब्जियां, सालाना 10 लाख का कारोबार

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ग्रामोदय

ग्रामोदय फाउंडेशन की ओर से जैविक खाद से उगाई जा रही सब्जियां.

राजस्थान के पदाधिकारी त्रिवेंद्र पाराशर ने बताया कि ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र पर साल 2020 से रासायनिक खाद की बजाय गाय क ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- ललितेश कुशवाहा

भरतपुर. देश में अब किसानों के अलावा निम्न संस्थाएं भी परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खाद के माध्यम से नगदी और बागवानी फसलों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, क्योंकि इस तरह की खेती से संस्थाओं को कम लागत में अधिक मुनाफा होता है. अगर बात राजस्थान के भरतपुर जिले के उच्चैन उपखंड के गांव खरेरा में एकल ग्रामोदय फाउंडेशन और एकल विद्यालय फाउंडेशन ऑफ अमेरिका से संबंधित सिनसिनाटी डेटन ग्रुप अमेरिका की ओर से संचालित ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र पर भी जैविक खाद से सब्जियां औरजड़ी बूटियां पैदा की जा रही है.

इन्हें स्थानीय क्षेत्र और देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा बाहर विदेशों में भी भेजा जा रहा है. इससे प्रतिवर्ष लाखों रुपए का करोबार होने से एक दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. इस संस्थान की ओर से बारिश के पानी को एकत्रित करने के लिए कुंड भी बना रखा है. जब भी इन फसलों को पानी की आवश्कता होती है तो इसी कुंड से पानी लिया जाता है.

हर साल 10 लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार

राजस्थान के पदाधिकारी त्रिवेंद्र पाराशर ने बताया कि ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र पर साल 2020 से रासायनिक खाद की बजाय गाय के गोबर औरमूत्र से निर्मित जैविक खाद के माध्यम से सब्जी, जड़ी बूटियां उगाई जा रही हैं. देश के लोगों के साथ-साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों को यहां पैदा किए जाने वाले उत्पाद बेहद पसंद हैं और वह इस संस्थान के सहयोग से सब्जी की बूटियां मंगाते हैं.

सब्जियों में टमाटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, बैंगन, पालक, मिर्ची, धनिया, जीरा, काशीफल, तरबूज, बेर, करेला, भिंडी, टिंडा आदि सब्जियां उगाई जाती हैं. वही इस संस्थान की ओर से इन सब्जियों को मरीजों और जरूरतमंद लोगों को निशुल्क दिया जाता है. इसके बाबजूद भी इस संस्थान को प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए से अधिक का कारोबार हो जाता है.

कुंड में बारिश के पानी को करते हैं एकत्रित

पर्यावरण प्रदूषण के कारण धरती से जल स्तर घट रहा है. इसके कारण आवश्यकता पड़ने पर बारिश नहीं हो पाती, लेकिन इसके समाधान के लिए बारिश के समय व्यर्थ बहने वाले पानी को कुंड में एकत्रित कर लिया जाता है. इससे आवश्यकता पड़ने पर फसलों में इसी कुंड में से पानी की पूर्ति की जाती है. यहां होने वाली फसलों को समय पर पानी मिलने के कारण ही पैदावार अच्छी होती है.

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