गेहूं की कटाई करते मज़दूर
रिपोर्ट : ललितेश कुशवाहा
भरतपुर: ग्रामीण क्षेत्रों में रबी फसल की कटाई का काम जोरों पर है. लेकिन इस फसल कटाई के लिए मजदूरों की कमी के कारण मुंह मांगे कीमत मिल रही है. इसकेे बाबजूद भी मजदूर नहीं मिल पा रहे है . महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फसल कटाई में सहयोग कर रही है. मजदूरों का कहना है कि ग्रामीण अंचल में इस समय गेहूं (Wheat) की फसल पककर तैयार हो चुकी है. अब इसकी कटाई के लिए मजदूरों की आवश्यकता है लेकिन मजदूर नहीं मिल पाने के कारण कीमत में बढ़ोत्तरी की गई है. जो मजदूर शहरों में कार्य करने के लिए जाते थे वो भी इस वक्त फसल कटाई में लग चुके है. उनका कहना है कि करीब 1 माह तक गांव में ही लोगों को भरपूर रोजगार मिल रहा है. यही बजह है कि अन्य राज्यों के मजदूरों ने भी ग्रामीण अंचल में डेरा डाल लिया है.
एक दिन की मजदूरी 500 रुपए
किसान मोहन सिंह ने बताया कि उनके पास पांच हैक्टेयर भूमि में गेंहू की फसल की गई है. इस समय फसल पूर्ण रूप से पककर तैयार हो चुकी है. इस काटने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे है और कुछ मजदूर मिल भी रहे है तो मुंह मांगे कीमत ले रहे है. एक दिन की मजदूरी 500 रुपए है.इस समय फसल कटाई के सीजन को देखते हुए बड़ी तादाद में पुरुषो के साथ महिलाएं भी देखी जा रही है. वही इस समय शहर में काम करने वाले व्यक्ति भी गांव में इसी काम को कर चांदी कूट रहे है.एक महीने तक चलने वाले इस कार्य से लोगो को गांव में ही रोजगार मिल रहा है.
बाहर के मजदूरों ने डाला डेरा..
इस समय ग्रामीण अंचल में बिहार और एमपी के मजदूर भी अपना डेरा डाल चुके हैं. मजदूरों ने बताया कि आम दिनो में उन्हें 1 दिन की मजदूरी ₹300 तक मिलती है, लेकिन गेहूं की कटाई के कार्य में एक दिन के ₹500 तक मिलते है. इस कार्य से हमें एक माह तक ₹200 का तक का मुनाफा हो जाता है. यही वजह है कि स्थानीय मजदूरों के साथ बाहर के मजदूरों की संख्या भी देखी जा रही है.
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