रिपोर्ट- ललितेश कुशवाहा
भरतपुर. प्राचीन काल से साधु-संतों की तपोस्थली रहा भारत आज भी अपने धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. आज के वैज्ञानिकता के दौर में आस्था के केंद्रों ने अपना महत्व नहीं खोया है. इसलिए इन धार्मिक स्थलों की गूंज संसार में सुनाई देती है. राजस्थान के भरतपुर में स्थित वैर कस्बा भी धार्मिक स्थलों में अपनी अलग पहचान रखता है. इसी में से एक है सिद्ध पुरुष श्री 1008 मनोहर दास बाबा का समाधि स्थल . मान्यता है कि यहां पर माथा टेकने और धूना की राख लगाने से सभी की मनोकामना पूर्ण होती है. जानकारी के मुताबिक बाबा के समाधि लेने के बाद भक्तो को दर्शन देना और उनके कष्टों को दूर करना किसी चमत्कार से कम नही है. बाबा के द्वारा कई ऐसे चमत्कार किए गए हैं, जिनकी आस्था के प्रति भक्तों में विश्वास बढ़ा है. दूर-दराज से श्रद्धालु समाधि स्थल पर पहुंचने के साथ माथा टेककर मन्नतें मांगते हैं.
70 साल की उम्र में ली थी जीवित समाधि
स्थानीय निवासी गोपालराम पाठक ने बताया कि श्री मनोहर दास बाबा बचपन से ही ईश्वर में आस्था और पूजापाठ करते रहते थे. कठिन तप करने के कारण ही उन्होंने कई सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त की थी. इन शक्तियां और सिद्धियों के कारण ही लोग उन्हे सिद्ध पुरुष के नाम से जानते थे. वह अपनी शक्तियों और सिद्धियों का दुरुपयोग नहीं करने के साथ ही कभी दिखावा नहीं करते. उनके चेहरे पर अद्भुत तेज और आकर्षण होता था जो उन्हें सबसे अलग बनाता था. उन्होंने जीवित कई लोगों को कष्टों से मुक्ति दिलाकर कई चमत्कार किए थे. उन्होंने करीब 60 साल पहले 70 वर्ष की आयु में जीवित समाधि ले ली थी. समाधि लेने के बाद उन्होंने कई भक्तों को दर्शन दिए और उनकी मनोकामना को पूर्ण किया.
माथा टेकने और राख लगाने से मनोकामना होती है पूर्ण
सियारामदास महन्त ने बताया कि जब बाबा मनोहर दास बाबा के समय से ही भक्त उनके दर्शन करने आते थे. बाबा हंसते-हंसते भक्तों के कष्ट और मनोकामना को पूरी कर देते थे. बाबा के द्वारा ली गई समाधि के बाद भी भक्तों को दर्शन देकर कई परेशानियों से छुटकारा दिलाया है. यही वजह है कि बाबा के प्रति भक्तों की गहरी आस्था है. दूरदराज से भक्त आज भी बाबा के दर्शन करने आते है और मान्यता है कि बाबा की समाधि पर माथा टेकने और 24 घंटे जल रही धूनी की राख लगाने से कई परेशानियों से मुक्ति मिलने के साथ ही मान्यताएं पूर्ण होती हैं. बाबा की समाधि स्थल पर उनके भक्तों के द्वारा विशाल मंदिर बना दिया गया. जहां पशु पक्षियों और मानव सेवा जारी है. बाबा के जन्म और समाधि वाले दिन की तिथि पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है.
बाबा के नाम से देश-विदेश में अनेक मंदिर है और प्रत्येक शहर व गांव में बाबा मनोहर दास की तस्वीर मिलेगी. इसके अलावा वाहनों में भी बाबा मनोहर दास की प्रतिमा लगी नजर आती है.
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