रिपोर्ट: रवि पायक
भीलवाड़ा . प्रदेश सहित भीलवाड़ा जिले भर में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि का समापन 30 मार्च को होगा. हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माने जाने वाला चैत्र नवरात्रि के अंतर्गत 9 दिनों में माता दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है.आज हम आपको भीलवाड़ा जिले के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें भक्तों को एक साथ 7 देवियों को दर्शन करने को मिलते हैं. क्योंकि इस मंदिर में दुर्गा माता अपनी 7 बहनों साथ विराजमान हैं.
भीलवाड़ा शहर के सबसे प्राचीन कहे जाने वाले मंदिर खेड़ा कूट माताजी मंदिर भीलवाड़ा जिले का सबसे बड़ा कन्या भोज भी आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में कन्याओं को एक साथ भोजन करवाया जाता है.
करीब छह सौ वर्ष पुराना है ये मंदिर
इतिहासकार कैलाश साहू कहते हैं कि भीलवाड़ा शहर के पुराना भीलवाड़ा क्षेत्र में स्थित जूनावास में खेड़ा कूट माताजी का मंदिर स्थित है यह. मंदिर लगभग 500 से 600 वर्ष प्राचीन है यहां पर कई पीढ़ियों से भक्त निरंतर दर्शन करने के लिए आ रहे हैं. इस मंदिर में माता रानी के साथ उनके साथ बहनें भी विराजमान हैं. यहां पर साल के 365 दिन ही भक्तों दर्शन करने के लिए आते हैं और नवरात्रि के समय यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि माता रानी के अरदास लगाने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. यही नहीं दावा किया जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को लकवे की बीमारी हो जाती है तो मंदिर में परिक्रमा करने से उनकी बीमारी काफी हद तक ठीक हो जाती है.
सभी मन्नतें यहां पर पूरी होती हैं
मंदिर के पुजारी उदय लाल सालवी ने बताया कि उनके पूर्वज कई सालों से माता जी की सेवा पूजा कर रहे हैं. और जब इस शहर की नींव रखी गई थी उससे पहले का यह मंदिर है. यहां पर कई श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं और उनकी सभी मन्नतें यहां पर पूरी होती हैं.
सत्संग का आयोजन
नवरात्रि के 9 दिनों तक माता जी के यहां महिला मंडल द्वारा सत्संग का आयोजन किया जाता है 9 दिन तक माताजी का अलग-अलग श्रंगार किया जाता है वही श्रद्धालु सत्यनारायण तोतला ने कहा कि यहां पर प्रतिवर्ष साल में एक बार जिले का सबसे बड़ा कन्या भोज का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में कन्याओं को भोजन करवाया जाता है 9 दिनों तक देवी दुर्गा के भक्त तरह-तरह के विधि विधान और अनुष्ठान करके माता दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं.
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