रिपोर्ट: रवि पायक
भीलवाड़ा. राजस्थान का भीलवाड़ा शहर अपनी टेक्सटाइल इंडस्ट्री के कारण पूरे भारत में मैनचेस्टर के नाम से विख्यात है. आजादी के पहले से यहां कपड़ा इंडस्ट्री की शुरुआत हुई और अब सालाना इतना कपड़ा बनता है कि उससे पूरी धरती को लपेटा जा सकता है. हालांकि, आजादी के पूर्व यहां केवल बनियान बनती थी. लेकिन, अब प्रतिमाह 9 करोड़ और सालाना 110 करोड़ मीटर कपड़ा बनाया जाता है. यहां सैकड़ों टेक्सटाइल फैक्ट्रियां हैं.
इस तरह हुई शरुआत
भीलवाड़ा में टेक्सटाइल की शुरुआत वर्ष 1938 में हुई. उस समय मेवाड़ टेक्सटाइल की नींव रखी गई. मेवाड़ टेक्सटाइल का बनियान पूरे विश्व में बिकने के लिए जाता था. 1962 में भीलवाड़ा उद्योग समूह का राजस्थान स्पिनिंग और बुनाई मिल लक्ष्मी निवास झुनझुनवालाकी अगुवाई में स्थापित हुआ. उस समय भीलवाड़ा की स्पर्धा कानपुर जैसे दूसरे टेक्सटाइल शहरों से थी. लेकिन, यहां के कपड़े की गुणवत्ता और विक्रय मूल्य कम होने के कारण यहां के उत्पादकों को देशभर में जगह मिली. आज भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग इतना मजबूत हो गया कि मुंबई का कपड़ा भी भीलवाड़ा बनने के लिए आ रहा है.
सालाना बनता है 110 करोड़ मीटर कपड़ा
वर्तमान समय में भीलवाड़ा में 450 से अधिक वीविंग इंडस्ट्री हैं. वहीं 17 से 18 प्रोसेस हाउस , 18 स्पिनिंग इंडस्ट्रीज हैं. इन इंडस्ट्री में प्रतिमाह 9 करोड़ मीटर कपड़े का उत्पादन होता हैं. वहीं सालाना 110 करोड़ मीटर कपड़ा बनता हैं. इन औद्योगिक इकाइयों के कारण काफी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिले हैं, जिससे भीलवाड़ा की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है. यहां के उद्योगपति नए-नए आयाम स्थापित कर रहे हैं.
दो लाख लोगों को मिल रहा रोजगार
मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स मानद महासचिव आरके जैन कहते हैं कि भीलवाड़ा टेक्सटाइल सिटी और मैनचेस्टर के नाम से देश ही नहीं पूरे विश्व में विख्यात है. भीलवाड़ा में ऐसे कई उद्योग है, जहां से कपड़ा विदेशों में जाता है. कपड़ा इंडस्ट्री से करीब 2 लाख लोगो रोजगार मिल रहा है.
1970 से कपड़ा इंडस्ट्री ने पकड़ी रफ्तार
करीब 5 दशक पहले तक भीलवाड़ा शहर लगभग 50 से 60 हजार की आबादी वाला साधारण सा कस्बा था. लेकिन, टेक्सटाइल क्षेत्र में रोजगार सृजन के बाद कई उद्योगपति भीलवाड़ा आए. साथ ही इन उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक भी दूसरे प्रदेशों से यहां आए. 1970 से पहले यहां सिर्फ दो टेक्सटाइल उद्योग चलते थे. तब उनमें 3000 श्रमिक ही काम करते थे. बाकी श्रमिक अभ्रक उद्योग में काम करते थे. लेकिन, वर्तमान में यहां 2 लाख श्रमिक टेक्सटाइल इकाइयों में काम कर रहे हैं.
1938 में भीलवाड़ा में हुई टेक्सटाइल की शुरुआत
1938 में मेवाड़ टेक्सटाइल की नींव रखी गई तब से भीलवाड़ा मे कपड़ा उद्योग जगत की शुरुआत हुई. मेवाड़ टेक्सटाइल का बनियान पूरे विश्व में बिकने के लिए जाता था. 1962 में भीलवाड़ा उद्योग समूह का राजस्थान स्पिनिंग और बुनाई मिल लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला की अगुवाई में स्थापित हुआ. उस समय नया रो मटेरियल, नया निर्माण और नई मार्केटिंग थी, लेकिन धीरे-धीरे उद्योग जमने लगा. भीलवाड़ा की स्पर्धा पूरे देश से थी लेकिन यहां की गुणवत्ता और विक्रय मूल्य कम होने के कारण यहां के उत्पादकों को देशभर में जगह मिली. आज भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग इतना मजबूत हो गया कि मुंबई का कपड़ा भी भीलवाड़ा बनने के लिए आ रहा है.
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