रिपोर्ट: रवि पायक
भीलवाड़ा. देश-प्रदेश में चैत्र नवरात्रि का महापर्व चल रहा है. देवी मंदिरों में विशेष पूजा पाठ का आयोजन किया जा रहा है. सामान्यत देवी मंदिरों में आरती के बाद प्रसाद में लड्डू, बूंदी, मिश्री या अन्य स्थानीय मिठाई का वितरण किया जाता है. लेकिन, भीलवाड़ा में माता का एक मंदिर ऐसा है, जहां महिलाओं को प्रसाद में मिठाई की जगह चूड़ियां भेंट की जाती हैं. यह मंदिर शहर के आजाद नगर में स्थित मंशापूर्ण मां दधिमती का मंदिर है. इस मंदिर की की मान्यता है कि यहां से चूड़ी के रूप में प्रसाद पाने पर महिला के पति की आयु दीघार्यु होती है. यहां सुहागन महिलाओं को प्रसाद के रूप में माता रानी को अर्पित की गई चूड़ियां दी जाती हैं. ये चूड़ियां भी यहां आने वाली महिला भक्त ही चढ़ाती हैं.
मंदिर की स्थापना का भी है दिलचस्प किस्सा
भीलवाड़ा शहर के आजाद नगर में स्थित मंशापूर्णमां दधिमती मंदिर के संस्थापक 80 वर्षीय कन्हैयालाल कुदाल बतो हैं. इस मंदिर की स्थापना एक सपने के कारण हुई थी. उन्होंने बताया कि कई वर्षों पहले उनके सपने में माता रानी एक नन्ही बालिका के रूप में एक फूल लेकर आई और उन्होंने भीलवाड़ा में अपने मंदिर की स्थापना करवाने की बात कही. जिसके बाद उन्होंने यह बात अपनी समाज के सामने रखी और समाज के सहयोग से भीलवाड़ा शहर के आजाद नगर में मंदिर की स्थापना की गई. नागौर के गोठ मांगलोद माता मंदिर से से यहां पर ज्योत लाई गई. मंदिर की की मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. चाहे भक्त माता रानी से मकान मांगे या फिर नौकरी मांगे या फिर बालक मांगे. भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
भक्त विक्रम दाधीच कहते हैं कि यहां पर सुहागन महिलाओं को प्रसाद के रूप में माता रानी को अर्पित की गई चूड़ियां भेंट की जाती हैं, जिससे उनका स्वाग दीर्घायु रह सके. माता रानी के त्रिशूल पर भक्तों के लिए चूड़ियां अर्पित की जाती हैं और बाद में जो भी महिला श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आती हैं तो उन्हें प्रसाद के रूप में चूड़ियां दी जाती हैं.
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