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25 साल पहले गांव से भागा, महंत नरेंद्र गिरि से मुलाकात, अशोक चोटिया के आनंद गिरि बनने की कहानी...

भीलवाड़ा जिले के ब्राह्मणों की सरेरी गांव के आनंद गिरि की आज से करीब 25 साल पहले पहचान अशोक चोटिया नाम से थी.

भीलवाड़ा जिले के ब्राह्मणों की सरेरी गांव के आनंद गिरि की आज से करीब 25 साल पहले पहचान अशोक चोटिया नाम से थी.

Anand Giri Story: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि आत्महत्या (Narendra Giri Suicide Case) मामले में गिरफ ...अधिक पढ़ें

    मनीष दाधीच

    भीलवाड़ा. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या (Narendra Giri Suicide Case) मामले में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के ब्राह्मणों की सरेरी गांव खासा चर्चा में है. इसकी बड़ी वजह है इस मामले गिरफ्तार किया गया उनका शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri). आनंद गिरि की आज से करीब 25 साल पहले पहचान अशोक चोटिया नाम से थी. आनंद गिरि पर लगे आरोपों को ग्रामीण निराधार मानते हैं. उनका कहना है कि आनंद गिरी संत बनने के बाद सिर्फ दो बार गांव आया था. आनंद गिरि स्वभाव से काफी सरल और शांत है और अपने गुरु की सबसे ज्यादा इज्जत करता है.

    आनंदि गिरि के पिता रामेश्वर चोटिया और 3 भाई कठिन हालात में जिंदगी जी रहे हैं. ये सभी एक ही घर में रह रहे हैं. इसमें आनंदगिरि का हिस्सा भी शामिल है. आनंद गिरी के पिता और भाई का कहना है कि उन पर लगाए सभी आरोप गलत हैं. बीते 25 साल में उन्होंने आनंदगिरि को केवल दो बार देखा है. एक बार जब गांव में दीक्षा ली और दूसरी बार जब मां का देहांत हुआ तब. परिवार का कहना है ही उनका कभी आनंद गिरि से कभी संपर्क रहा ही नहीं. आनंद गिरी परिवार को 25 साल पहले ही छोड़ चुके हैं.

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    बिना बताए घर से निकल गया था अशोक
    आनंद गिरि के पिता रामेश्वर चोटिया ने बताया कि अशोक चोटिया 25 साल पहले घर से बिना बताए निकल गया था. 13 साल तक उसे ढूंढने का प्रयास किया गया. लेकिन उसका कोई पता नहीं चला. 13 साल बाद उसकी हरिद्वार में महंत नरेंद्र गिरि के पास होने की जानकारी मिली थी. उसके बाद महंत नरेंद्र गिरी अशोक को गांव लेकर आए थे. यहां 1 घंटे रुक कर अशोक को महंत नरेंद्र गिरि ने दीक्षा दिलाई और उसे नया नाम आनंद गिरी दे दिया था. उसके बाद आनंद गिरि ने कभी परिवार से संपर्क नहीं किया.

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    भाई ने कहा अभी तो हम घर भी नहीं बना पाए हैं
    आनंद गिरि के सबसे बड़े भाई भंवर चोटिया ने कहा कि संत बनने के बाद आनंद गिरि ने कभी भी परिवार से संपर्क नहीं किया. आज भी भंवर चोटिया अपने दो भाइयों के साथ अपने पैतृक घर में ही रह रहे हैं. उनके भाई का कहना है कि अगर नरेंद्र गिरी परिवार को पैसा देता तो उनके आर्थिक हालात ऐसे नहीं होते. अभी तक वह लोग अपना खुद का घर भी नहीं बना पाए हैं.

    Tags: Anand Giri, Mahant Narendra Giri Death Case, Mahant Narendra Giri Death Mystery, Rajasthan latest news

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