रिपोर्ट : निखिल स्वामी
बीकानेर. जिस तरह दंगल फिल्म में दिखाया गया है कि एक पिता ने अपने बच्चों को समय देने और उन्हें खेलाने के लिए सरकारी जॉब छोड़ी है, ठीक उसी तरह बीकानेर में भी एक व्यक्ति ने अपनी दो बच्चियों को खेलाने और पढ़ाने के लिए सरकारी जॉब छोड़ दी. हम बात कर रहे हैं बीकानेर के फड़ बाजार में रहनेवाले जाकिर हुसैन की. जाकिर पुलिस में कॉन्स्टेबल पद पर कार्यरत थे, उन्होंने 2013 में वीआरएस ले लिया था. वे उस समय जयपुर में राजस्थान की स्पेशल ब्रांच एटीएस एसओजी में कॉन्स्टेबल पद पर थे. करीब 10 साल से पेंशन और अपने घर के नीचे आढ़त का काम करके जिंदगी बसर कर रहे हैं.
जाकिर ने बताया कि उन्होंने अपनी दोनों बच्चियों को छोटी सी उम्र में तैराकी में डाल दिया और वे स्विमिंग करने लगीं. धीरे-धीरे बच्चियां अच्छा परफॉर्म करने लगीं, मेडल लाने लगीं. जाकिर की दोनों बेटियां सहिस्ता खानम और सगुफ्ता खानम ने नेशनल लेवल पर मेडल और इंटर यूनिवर्सिटी खेली हैं, लेकिन उस समय सरकार की तरफ से इन बच्चियों को कोई सहायता नहीं दी गई. जिसके कारण बच्चियों को खेल छोड़कर पढ़ाई की तरफ मोड़ दिया.
जाकिर बताते हैं कि पुलिस की नौकरी में संभव नहीं है कि वे अपने बच्चों को ज्यादा समय दे पाएं. वे दोनों बच्चियों को सुबह व शाम ग्राउंड में प्रैक्टिस और स्विमिंग कराने ले जाते थे. उस समय केएडीजी अमृत कलेश ने काफी सपोर्ट किया. जाकिर ने बताया कि उनकी दोनों बेटियां अभी भी थोड़ा बहुत स्विमिंग करती हैं. एक बेटी ने पिछले साल इंटर यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल जीता है. जाकिर ने बताया कि उनकी एक बेटी सगुफ्ता खानम बीकानेर के सरकारी एमएस कॉलेज में बीएससी फाइनल ईयर की स्टूडेंट है, और दूसरी सहिस्ता खानम जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई कर रही है.
जाकिर ने बताया कि उनकी दोनों बच्चियों ने 14 साल तक तैराकी की है. वे दोनों बच्चियों को कई तरणताल ले गए, लेकिन अच्छा कोच नहीं होने से बेटियां ज्यादा आगे बढ़ नहीं पाईं. बेटियों को राजीव गांधी तरणताल में और मेडिकल कॉलेज तरणताल में प्रैक्टिस कराई थी. फिर जयपुर में 2007 में ट्रांसफर करवाया था, इनके खेलने के लिए जयपुर में स्विमिंग पूल था. वहां प्रैक्टिस हो जाएगी, लेकिन यहां भी कोच की सुविधा नहीं होने से पढ़ाई करनी शुरू कर दी.
सगुफ्ता खान ने बताया कि अब तक कई मेडल जीत चुकी हैं. बंगलुरू में 2010 ओपन टूर्नामेंट पहला ब्रॉन्ज जीता. जो सबसे कम उम्र में पहला ब्रॉन्ज मेडल राजस्थान के लिए था. केवी नेशनल में 2011 में गोल्ड मेडल जीता. जिलास्तर से लेकर राज्यस्तर पर कई टूर्नामेंट खेले और मेडल जीते. 2022 में इंटर कॉलेज में ब्रेस्ट स्टॉक में गोल्ड मेडल जीता. अब तक 30 से 35 मेडल जीत चुकी हैं. वहीं सहिस्ता खानम ने बताया कि केवी नेशनल में गोल्ड मेडल जीता. 2023 में जयपुर में इंटर कॉलेज में राजस्थान यूनिवर्सिटी से सिल्वर मेडल जीता.
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