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बीजेपी के कद्दावर नेताओं के बीच भी आखिर कैसे लगी युवा सांसद सीपी जोशी की 'लॉटरी'?

Chittorgarh News: बीजेपी ने प्रदेशाध्यक्ष चुनने में सोशल इंजीनियरिंग पर किया फोकस

Chittorgarh News: बीजेपी ने प्रदेशाध्यक्ष चुनने में सोशल इंजीनियरिंग पर किया फोकस

Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ से लगातार दो बार से सांसद सीपी जोशी सोमवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर संभाली. बीज ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

राजस्थान से कोई ब्राह्मण चेहरा प्रभावी भूमिका में न होने के कारण सीपी जोशी के सिर सेहरा बंधा
अमित शाह के साथ सहकारिता से जुड़ी संसदीय समिति में होने के कारण भी करीबी का फायदा
बीजेपी में चुनाव से पहले गुटबाजी को दूर करने के लिए निर्गुट नेता को सौंपी प्रदेश की बागडोर

 (एच. मलिक)

चित्तौड़गढ़. विधानसभा चुनाव (Assembly election) से पहले बीजेपी में उफान पर लेती गुटबाजी (Groupism) ने सतीश पूनियां की विदाई तो तय कर ही दी थी. बड़ा सवाल यह था कि पूनियां (Satish poonia) के बाद इस बड़ी जिम्मेदारी को कौन संभालेगा? गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) की करीबी, असम के राज्यपाल की पैरवी और निर्गुट होने का फायदा बीजेपी सांसद सीपी जोशी (CP Joshi) को मिला. सभी जातियों को साधने के समीकरण में भी जोशी के फिट बैठने के चलते वे बीजेपी की बिसात के वजीर बन गए.

बीजेपी सांसद सीपी जोशी ने प्रदेशाध्यक्ष का जिम्मा संभालने के लिए 27 मार्च का दिन चुना. सोमवार को जयपुर में प्रवेश करते ही हनुमान मंदिर में दर्शन के बाद ट्रांसपोर्ट नगर चौराहा, त्रिमूर्ति सर्किल और सवाई जयसिंह स्टैच्यू सर्किल पर स्वागत हुआ.

विरोध ने लिखी अध्यक्ष बदलने की पटकथा
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बदलने की पटकथा खुद सतीश पूनियां ने ही लिखी. दरअसल बीजेपी की खेमेबाजी तो पहले ही सुर्खियों में थी, लेकिन वसुंधरा के जन्मदिवस पर सालासर में और जयपुर में हुए दो अलग-अलग कार्यक्रमों ने वसुंधरा-पूनिया के बीच तल्खियों को और बढ़ा दिया. इसका नेगेटिव मैसेज ऊपर तक गया. इससे राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के भी उन आरोपों को भी और बल मिला, जिसमें वो सतीश पूनियां पर गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में उनका सहयोग न देने का लगातार आरोप लगा रहे थे.

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प्रदेशाध्यक्ष चुनने में सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस
विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में कई गुट बन जाना, बीजेपी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसी को भांपते हुए पूनियां के कार्यकाल को विस्तार न देकर नया अध्यक्ष बनाने की रणनीति बनी. बड़ा सवाल यही था की पूनियां के बाद किसे बागडोर सौंपी जाए, जिससे गुटबाजी भी खत्म हो और पार्टी भी चुनाव के लिए और मजबूती से तैयार हो. राजे की अध्यक्ष पद पर वापसी दुष्कर थी. राजस्थान में चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस करते हुए किसी ऐसे ही नेता पर दावं खेलने की रणनीति बनाई.

जातिगण समीकरणों में कई नेताओं की अहम भूमिका
केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजस्थान की भागीदारी की बात करें तो वहां चार मंत्री हैं. इनमें तीन लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी और एक राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं. गजेंद्र सिंह शेखावत गैर आरक्षित वर्ग से आते हैं और उनका मारवाड़ में अच्छा होल्ड है. बाकी तीनों मंत्री आरक्षित वर्ग से हैं. इनमें एक एससी और दो ओबीसी वर्ग से हैं. लोकसभा अध्यक्ष के पद पर कोटा सांसद ओम बिड़ला हैं, जो वैश्य वर्ग से हैं. उपराष्ट्रपति के पद पर जगदीप धनखड़ हैं, जो जाट समुदाय से हैं.

राजस्थान से कोई ब्राह्मण चेहरा प्रभावी भूमिका में नहीं
दरअसल, केंद्र की भाजपा सरकार और राष्ट्रीय संगठन में भी राजस्थान से कोई ब्राह्मण चेहरा प्रभावी भूमिका में नहीं है. राजस्थान से लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर भाजपा के 28 सांसद हैं और विधानसभा में सत्तर से ज्यादा विधायक. लेकिन मौजूदा समय में प्रदेश भाजपा में कोई भी ब्राह्मण चेहरा प्रमुख भूमिका में है. घनश्याम तिवाड़ी की बमुश्किल पार्टी में वापसी हुई है. बीजेपी के कुछ अन्य ब्राह्मण नेताओं का प्रभाव उनके क्षेत्र तक ही है. हाल ही में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी इस जाति का सीएम बनाने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम चलाया गया.

राज्यपाल कटारिया की पैरवी जोशी के काम आई
लेकिन बीजेपी थिंक टैंक ने सांसद सीपी जोशी का नाम फाइनल किया. भाजपा के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाने के पीछे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की भी भूमिका अहम रही है. जब नए अध्यक्ष के नामों पर चर्चा हुई तो केंद्रीय नेतृत्व के सामने कटारिया ने उन्हीं के मेवाड़ संभाग से आने वाले युवा नेता जोशी का नाम आगे बढ़ाया. जोशी भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के नाते काम देख रहे थे. जोशी केंद्रीय स्तर पर अमित शाह के साथ सहकारिता से जुड़ी संसदीय समिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका में होने के कारण उनकी गुड बुक में पहले से ही थे. यही कारण रहा कि शाह, कटारिया और निर्विवाद ब्राह्मण नेता होने के कारण सीपी जोशी को प्रदेश भाजपा का मुखिया बनने का मौका मिल गया.

Tags: Amit shah, Chittorgarh news, Gulab Chandra Kataria, Satish Poonia

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