Churu News: ऐसे में बारात बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी व हाथियों पर निकला करती थी.
रिपोर्ट- नरेश पारीक
चूरू. राजस्थान के चूरू जिले में पुराने समय ऐसी कई घटनाएं है जिसे सुनने के बाद दिल दहल जाता है, एक ऐसी ही घटना जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर हुई. करीब 500 साल पहले हुई इस दिल दहलाने वाली घटना को बुजुर्ग लोग आज भी गांव की गुवाड़ में सुनाते हैं. यहां सात बहनों के श्राप के कारण आज भी पानी खारा निकलता है, मीठे पानी की आस में लोगों ने नए बोरिंग खुदवाए लेकिन पानी हमेशा खारा ही निकला. जिले में कई क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां पर लूटपाट का भय रहा करता था. दूधवाखारा के बुजुर्ग फूलाराम बताते है कि उस समय जनसंख्या व संसाधन काफी कम हुआ करते थे. ऐसे में बारात बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी व हाथियों पर निकला करती थी.
अक्सर जिस गांव से बारात आती-जाती थी तो लोग उनके लिए नाश्ते आदि की व्यवस्था किया करते थे. उन्होंने बताया कि लोक मान्यता है कि करीब 500 साल पहले रामगढ़ की सात बहनों की शादी हिसार के युवकों से हुई थी. सात बहनों को ससुराल पक्ष के लोग कुछ दिन बाद रामगढ़ से वापस हिसार ले जा रहे थे, इसमें सभी के दूल्हे व बाराती भी शामिल थे.
दूधवाखारा में बारात को रोका था
लोक मान्यताओं के अनुसार उस वक्त क्षेत्र में लूटपाट की घटनाएं हो जाया करती थी. दूधवाखारा से बारात लौटते समय ग्रामीणों ने बारातियों से नाश्ता कर जाने का आग्रह किया. इस पर बाराती नाश्ता-पानी के लिए मैदान में ठहर गए. बताया जाता है कि उस समय लूट के इरादे से लुटेरों के एक दल ने अचानक हमला कर मारकाट मचा दी. लुटरों ने सातों दूल्हों सहित बारातियों की हत्या कर सोना-चांदी लूटकर ले गए. इधर, सात बहनों को दूल्हों की हत्या की सूचना मिलने पर कोहराम मच गया. बताया जाता है कि सातों बहनों ने एक साथ आत्मदाह कर लिया. इससे पहले उन्होंने गांव वालों को श्राप दिया कि इस गांव में कभी मीठा पानी नहीं पी सकेंगे. किवदंती है कि सात बहनों के आत्मदाह करने के बाद जमीन से सात अलग-अलग पत्थर निकले.
ग्रामीणों ने बनवाया शक्ति मंदिर
ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद में सातों बहनों के शक्ति मंदिर गांव में बनवाए गए. उन्होंने बताया कि आज भी किसी के घर में शादी समारोह होता है तो पहले शक्ति मंदिरों में चूड़ा व चूंदड़ी चढ़ाई जाती है. इसके अलावा हर साल मेला भी भरता है, जहां पर श्रद्धालु धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं.
आज भी है हाथी- घोड़े के निशान
ग्रामीण बताते हैं कि जिस जगह बारात ठहरी थी, वहां पर किसी वक्त एक नदी भी बहा करती थी. लेकिन बाद में काफी समय पहले उसका बहाव रूक गया था. जिस जगह पर लुटरों ने बारातियों सहित बैल, ऊंट व हाथियों की हत्या की थी. उस जगह पर आज भी हाथी व घोड़ों के पदचिन्ह पत्थरों पर मौजूद है.
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