रिपोर्ट: नरेश पारीक
चूरू. राजस्थान के चूरू कलेक्ट्रेट में पिछले 30 सालों से बन रहे मोठ दाल के बड़े के दीवाने कलेक्ट्रेट के अधिकारी से लेकर चपरासी तक हैं. अपने स्वाद के लिए ये दाल बड़े शहर ही नहीं अपितु दूर-दराज से आने वाले लोगों की भी पसंद हैं. जबकि गर्म-गर्म दाल बड़ों पर लहसुन की चटनी और दही डालने के बाद स्वाद और भी बढ़ जाता है. शहर के नया बॉस निवासी गणेश प्रजापत ने बताया कि पिछले 30 सालों से उनके द्वारा दाल बड़े का ठेला लगाया जा रहा है. पहले उनके पिता लगाते थे और अब वह इस काम को करते हैं. प्रजापत ने बताया कि बचपन में पिता के साथ वह यहां आते थे और उन्हीं से दाल बड़े बनाने की विधि सीखी. कलेक्ट्रेट परिसर में लगने वाले इस ठेले पर 30 और 50 रुपए की प्लेट तैयार की जाती है.
मोठ की दाल के ये बड़े
पिछले 30 सालों से कलेक्ट्रेट में बनने वाले यह मोठ के बड़े हैं. आमतौर पर आपको चूरू शहर में पकौड़े मिल जाएंगे, लेकिन मोठ के बड़े के लिए आपको कलेक्ट्रेट ही आना पड़ेगा. कलेक्ट्रेट के इन बड़े की ख्याति का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कलेक्ट्रेट के अधिकारी और कर्मचारी के अलावा भी जो कलेक्ट्रेट आता है वह इनका स्वाद चखने जरूर आता है.
हाथ चक्की से पीसते हैं दाल
गणेश प्रजापत ने बताया कि वह आज भी घर पर हाथ चक्की से मोठ के बड़े की दाल को पीसते हैं. इस वजह से इन बड़ों का स्वाद और बढ़ जाता है. साथ ही बताया कि पहले रात को मोठ की दाल को पानी में भिगोया जाता है, फिर सुबह जल्दी उठकर उसे धोया जाता है. इसके बाद हाथ चक्की से उसे पीसा जाता है. इसके बाद उसमें प्याज, हरी मिर्च, धनिया, प्याज, नागौरी मेथी, सूखा धनिया साबुत, नमक, लाल मिर्च आदि मसाले डालकर तैयार किया जाता है. प्रजापत के मुताबिक, वह घर से सुबह 9 बजे तक आते हैं. इसके बाद 10 बजे तक तैयारी करके बड़े बनाने शुरू करते हैं और दोपहर तीन बजे तक माल खत्म हो जाता है. यानी वह पांच घंटे में दस से पंद्रह किलो दाल के बड़े बेचकर घर चले जाते हैं.
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