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Ramadan 2023: क्या होता है जकात और फितरा, रमजान माह में क्या है इसका महत्व, यहां जानिए

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नमाज

नमाज पढ़ते मुस्लिम समुदाय के लोग

मुस्लिम समाज मे रमजान के महीने में पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जात ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: नरेश पारीक

चूरू. रमजान में रोजा-नमाज और कुरान पढ़ने के साथ जकात और फितरा देने का भी बहुत महत्व है. जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना हर मुसलमान को जरूरी होता है.

शहर के ही रियाजत खान ने बताया कि इस्लाम के मुताबिक, जिस मुसलमान के पास भी इतना पैसा या संपत्ति हो कि वह स्वयं की जरूरत्ते पूरी करने के बाद भी धन की बचत हो तो वह दान करने का पात्र बन जाता है. रमजान में इस दान को दो रूप में दिया जाता है, फितरा और जकात. खान ने कहा साधन—संपन्न अगर कोई मुसलमान जकात देता है तो वह एक दम से गोपनीय रूप में दिया जाता है. खान ने कहा आर्थिक रूप से कमजोर जकात लेने वाले व्यक्ति को ये एहसास नहीं होना चाहिए कि उसे सार्वजनिक रूप से दान देकर जलील किया जा रहा है. ऐसे में जकात का महत्व कम हो जाता है.

इस्लाम में रमजान के पाक महीने में हर हैसियतमंद मुसलमान पर जकात देना जरूरी बताया गया है. आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं. यानी अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है.जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं होती. इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से कितना भी फितरा दे सकता है.खान ने कहा अल्लाह ताला ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है. गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए हर संपन्न मुसलमान को जकात और फितरा देना अनिवार्य होता है.

Tags: Churu news, Rajasthan news

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