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Dausa News: बसंत पंचमी के मेले में ही मिलता है बाजरे का घेवर, लोगों को रहता है इंतजार

दौसा में ही सिर्फ बाजरे का घेवर बनता है और ये सिर्फ बसंत पंचमी के मेले में ही मिलता है. इस खास मिठाई को खाने के लिए लोग ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: पुष्पेंद्र मीना

दौसा: आपने बाजरे की कई मिठाई जरूर खाई होगी, लेकिन क्या कभी बाजरे का घेवर खाया है? अगर नहीं, तो दौसा में आपको बाजरे का घेवर मिल जाएगा. बाजरे का घेवर दौसा में ही बनता है. यहां आयोजित होने वाले बसंत पंचमी मेले के दौरान ही यह घेवर बनाया जाता है. इसे पंचमी के मेले की मिठाई भी कहते हैं. लोग भी खूब चाव से इसका लुत्फ उठाते हैं.

बाजरे का घेवर बनाने के लिए सबसे पहले एक कुंतल बाजरे को 5 लीटर पानी में उबाला जाता है और 7 दिन तक उबले हुए बाजरे को सुखाया जाता है. फिर बाजरे को सूखने के बाद पाव-पाव किलो के हिसाब से उस बाजरे को सेंका जाता है. बाद में इसकी सफाई होती है. इसके बाद बरेली के गुड़ की चाशनी दी जाती है. चाशनी देने के बाद छोटे-छोटे गोलाकार के बंगड में बनाया जाता है और यह लगभग 15 दिन में बनकर तैयार होता है.

मेले में लगाई जाती है दुकान
सुरेश भड़भूजा दौसा जिला मुख्यालय पर बाजरे से बने घेवर की दुकान लगाते हैं. यह दुकान बसंत पंचमी के मेले में ही लगाई जाती है. इन दिनों यहां से प्रतिदिन हजारों के घेवर की बिक्री हो जाती है. बाजरे के घेवर की कीमत 120 प्रति किलो है. खास बात यह है कि बाजरे का घेवर सिर्फ बसंत पंचमी के मेले में ही मिलता है.

कई पीढ़ियों से बना रहे घेवर
नागौरी मोहल्ले में रहने वाले सुरेश ने बताया कि हम लोग पिछली कई पीढ़ियों से बाजरे के घेवर बनाने का कार्य कर रहे हैं. बताया कि हमारे दादा बाजरे का घेवर बनाते थे. उसके बाद पिता घेवर बनाने लगे और अब वह भी घेवर बना रहे हैं. बाजरे की तासीर गर्म होती है. वहीं, घेवर राजस्थान में नहीं देश-विदेश में पसंद किया जाता है. ऐसे में हमारे बाजरे के घेवर राजस्थान के अन्य जिलों में बनने वाले घेवर से अलग हैं.

Tags: Basant Panchami, Dausa news, Rajasthan news

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