रिपोर्ट -दयाशंकर शर्मा
धौलपुर. आधुनिक मशीनों के दौर में देसी जुगाड़ का वजूद कायम है. वैसे तो मशीनों के दौर में ज्यादातर देसी जुगाड़ खत्म सी हो गई है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे काम है जो देसी जुगाड़ से ही किए जा रहे हैं. जिससे आमजन को आर्थिक सहायता भी मिलती है. ऐसी ही एक जुगाड़ हम आपको आज दिखाएंगे जो जमीन को खोदकर पानी निकाला जाता है.
बोरिंग के लिए मिल रही सहायता
धौलपुर शहर के ग्रांडील मोहल्ले में पानी की समर के लिए देसी जुगाड़ से खुदाई की जा रही है. हालांकि इस देसी जुगाड़ को कुछ वर्ष पहले व्यक्ति ही अपने हाथों से चलाया करते थे, लेकिन मशीनों के दौर में विद्युत से चलाया जा रहा है. ज्यादातर बड़ी-बड़ी मशीनों से बोरिंग की खुदाई कर पीने के लिए निकाला जाता है. यहां भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. जिससे पानी के लिए खुदाई करा रहे मकान मालिक को आर्थिक सहायता भी मिल रही है.
प्रति फुट के हिसाब से खर्च होते हैं पैसे
बोरिंग की खुदाई करने आए मनीष कुमार निवासी जाकी पुरैनी ने बताया कि जिन घरों के लिए रास्ते संकरे होते हैं. उन घरों में यह हमारी छोटी सी मशीन चली जाती है. जिससे हम बोरिंग की खुदाई करते हैं. बड़ी मशीनों की अपेक्षा इससे पैसे भी कम लगते हैं. मनीष ने बताया कि हम 100 फुट खुदाई करीब 4 से 5 दिन में कर देते हैं. खुदाई की कीमत करीब 100 रुपए से 120 रुपए प्रति फुट के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं.
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