रिपोर्ट-दयाशंकर शर्मा
धौलपुर.जंगल में उगने वाली एक घनी झाड़ी में लगने वाले छोटे-छोटे बेर खाने में काफी स्वास्थ्यवर्धक होते हैं. इसलिए, बेर को छोटा सेब भी कहा जाता है. बेर की झाड़ी की एक खास बात यह होती है कि न तो इसकी बागवानी की जरूरत होती है और न ज्यादा देखरेख की. कांटों के बीच लगने वाला यह जंगली सर्दी के मौसम मेंं लगता है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह लोगों का सीजनल धंधा है. कमजोर आर्थिक स्थित वाले परिवार जंगल से बेर तोड़कर इसके मंडी में भी बेचते हैं. साथ ही ठेला लगाकर फेरी लगाकर बेचते हैं.
खाने मेंं स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर
स्वाद में खट्टा मीठा और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. जंगली जानवर भी इसे बड़े चाव से खाते हैं. चंबल के बीहड़ों में कटीली झाड़ में उगने वाले छोटे बेर पकने के बाद अपने आप ही जमीन पर गिर जाते हैं. चंबल के बीहड़ों व डांग इलाके में बड़ी मात्रा में छोटे लाल बेर झाड़िया अपने आप ही पनप जाती हैं. सर्दी के मौसम मेंं बेर की डिमांड काफी ज्यादा रहती है.
बेर खाने से ये फायदे होते हैं
आयुर्वेद के अनुसार बेर खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. साथ बेर वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है. डॉक्टरों के अनुसार बेर में विटामिन सी, ए, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियमत, फास्फोरस, जिंक और साइट्रिक एसिड होता है. बेर की दो किस्म होती हैं. जंगली किस्म छोटी और गोल होती है. जिसे झाड़बेर कहते हैं. बेर की तासीर ठंडी होती है. इसलिए यह पित्त को नष्ट करने के लिए उपयोगी होता है. वहीं दूसरे बेर थोड़े बड़े होते हैं, जिन्हें बागू बेर कहा जाता है.
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