Dungarpur. डूँगरपुर जीतना अपनी स्वच्छता को लेकर देशभर में मशहूर है, उतना ही अपने सुधर महलों व शाही भवनों के लिए भी जाना जाता हैं. आज इस लेख में हम आपको डूंगरपुर का वो महल के बारे में बताएंगे जो की एक पिलर पर खड़ा हैं और उस जमाने राजा महाराजा इस महल से महल के अंदर आने- जाने वालो पर नज़र रखते थे. इस महल को एक थंभिया महल के नाम से जाना जाता हैं.
एक थंभिया महल इसलिए ख़ास हैं, क्योंकि ये 3 मंज़िला महल सिर्फ़ एक पिलर पर बनाया गया है. इस महल के अंदर गुमावदार सीढ़िया हैं. महल के अंदर की गई पेंटिंग और कलाकरी भी अद्भुत हैं. इस महल को बनाने में बलवाडा के पत्थर का इस्तेमाल किया गया हैं.
झरोखे से रखते थे आने जाने पर नज़र
एक थंभिया महल उस ज़माने में राजा महाराज़ो के लिए सीसीटीवी कैमरे का काम करता था. इस महल के अंदर झरोखे ( छोटी खड़की) बने हुए जहाँ से राजा महाराजा महल के अंदर आने जाने पर नज़र रखते थे. बताया जाता हैं कि जब रानी राजा के आने का इंतज़ार करती थीं. तब महल में बैठा कर राजा के आने का इंतज़ार करती थीं. जब भी बाहर से कोई आवाज़ आती थीं, तब रानी छोटे से झरोखे खोलकर देखती थीं बाहर कौन आया.
1860 में बनाया महल
1860 में महारावल फ़तेह सिंह ने एक थंभिया महल बनाया. महारावल फ़तेह सिंह ने इस महल को उदय विलास पैलेस के अंदर बनवाया. इस महल को एक पिलर पर बनाया गया. महल को बनवाने में बलवाडा के पत्थरो का इस्तेमाल किया गया. महल में गुमावदार सीढ़िया और महल के अंदर कई सारे छोटे झरोखे बनवाए गए. जिसे से की महल में आने – जाने वाले पर नज़र रखी जा सके.
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