जुगल कलाल/डूंगरपुर. राजस्थान के डूंगरपुर जिला मुख्यालय के करीब दस किलोमीटर दूर स्थित फलौज गांव के स्वामी विवेकानंद स्कूल में वैसे तो सामान्य स्कूलों जैसा ही है. लेकिन, यहां पढ़ने वाले बच्चे सामान्य बच्चों जैसे नहीं हैं. दरअसल, वर्ष 2001 में गांव के सुखदेव यादव ने कुछ दृष्टिहीन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से एक सरकारी क्वार्टर में निशुल्क ट्यूशन कराना शुरू किया था. इसके बाद धीरे—धीरे वह ट्यूशन केंद्र अब 12वीं क्लास का स्कूल बन चुका है. राज्य सरकार के अनुदान व भामाशाहों के सहयोग से चलने वाले इस स्कूल से निकले कई बच्चों को सरकारी नौकरियां भी मिली हैं
इस स्कूल ब्रेल लिपि के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. अभी यहां 81 बच्चे अध्ययनरत है. जिसमें से 47 छात्र व 34 छात्रा हैं.उदयपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा सहित आसपास के जिलों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं, जिन्हें सभी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके अलावा 12वीं क्लास पास करने के बाद आगे दृष्टिहीन बच्चों की आगे की शिक्षा का बंदोबस्त करने के भी प्रयास किए जाते हैं.
रोजाना होती है संगीत व डांस की क्लास
इस स्कूल को शुरू करने वाले सुखदेव यादव का वर्ष 2021 में निधन हो चुका है. अब उनके बेटे व पत्नी इस स्कूल का संचालन करते हैं. सुखदेव यादव के बेटे कमलेश यादव ने बताया कि स्कूल में बच्चों की प्रतिदिन संगीत व डांस की क्लास लगती है, जिनमें बच्चे पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं. कमलेश ने बताया कि संगीत व डांस से बच्चों एहसास कराया जाता है कि वे भी सामान्य बच्चों की तरह नाच और गा सकते हैं.
अब सरकार से भी मिलता है स्कूल के लिए अनुदान
2001 में 10 बच्चों के साथ शुरू हुआ यह स्कूल 2013 तक स्कूल का भामाशाहों की मदद से ही चलता था. स्कूल शुरू करने वाले सुखदेव बच्चों के पालन पोषण करने के लिए भिक्षा मांगने तक भी नहीं शर्माता थे. 2014 से सरकार ने इस स्कूल को अनुदान देना शुरू कर दिया. अभी स्कूल की इमारत में छह कमरे, बालिका छात्रावास और भोजनशाला है. लेकिन, लड़कों के लिए छात्रावास नहीं हैं. ऐसे में लड़केे जिन कमरों में पढ़ाई करते हैं, रात में उन्हें वहीं पर सोना पड़ता है.
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