रिपोर्ट: जुगल कलाल
डूंगरपुर. गुजरात के स्वाध्याय परिवार के दो संतों की ओर से दिए गए एक सुझाव से डूंगरपुर के एक किसान परिवार की जिंदगी में काफी बदलाव आया है. इन संतों ने इस परिवार के लोगों को पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जियों की खेती करने का सुझााव दिया. इसके बाद इस किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जियों की खेती व बागवानी करना शुरू किया, जिसकी बदौलत अब यह परिवार सालाना 8 से 9 लाख रुपए का का मुनाफा कमा रहा है.
डूंगरपुर शहर से कुछ ही दूरी पर इंद्रखेत के रहने वाले राजू पटेल और उनकी पत्नी मंजुला पटेल सात साल पहले तक गेहूं, मक्का और सरसों की खेती करते थे. लेकिन, एक दिन गुजरात स्वाध्याय परिवार के 2 संत डूंगरपुर आए तब दोनों संत पटेल परिवार के घर रुके, तभी दंपति ने खेती में हो रहे नुकसान के बारे में बताया तो संतों ने उन्हें सब्जियों की खेती करने का सुझाव दिया.
ऐसे सीखी खेती करने की विधि
परिवार को आइडिया तो मिल गया लेकिन, शुरुआत कहां से करें उसका उन्हें अंदाजा नहीं था. इसके बाद पटेल परिवार ने कृषि विज्ञान केंद्र दोवड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सीएम बलाई से बात की और सब्जियों की खेती करने की विधि के बारे जाना और समझा. इसके बाद धीरे-धीरे गेहूं, मक्का जैसी खेती छोड़ सब्जियों की खेती करने लगे. एक समय जहां पटेल परिवार को खेती की चिंता सताती थी. वहीं, आज पटेल परिवार बेफिक्र होकर सब्जियों की खेती कर रहा है और सालना 8 से 9 लाख रुपए कमा रहा है.
गेहूं की फसल से थे परेशान
राजू पटेल और उनकी पत्नी मंजुला पटेल ने बताया कि उन्होंने सात बीघा जमीन पर सब्जियों की खेती कर रखी है. इसमें वे टमाटर, लोकी, मिर्ची, तरबूज, और पत्ता गोभी की खेती करते हैं. राजू और मंजुला के अलावा राजू के छोटे भाई की पत्नी खेती में उनकी मदद करती है. आगे राजू बताते हैं कि गेहूं की फसल जब करते थे तब बेमौसम बरसात, तो कभी कीड़ा लगने से फसल खराब हो जाती और जितनी मेहनत गेहूं की फसल करने में लगती थी. उतना तो उन्हें मुनाफा नहीं होता. बल्कि कई बार घाटा होता. जब से सब्जियों की खेती करना शुरू कि है तब से उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी है. जहां एक बीघा खेत में गेहूं की फसल कर मुनाफा नहीं होता था. वहां आज आधा बीघा में टमाटर की खेती कर उससे डबल मुनाफा हो जाता है.
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