रिपोर्ट: जुगल कलाल
डूंगरपुर. शहर में पंक्चर की एक दुकान दिखती तो सामान्य ही है, लेकिन उसके भीतर एक शानदार कोशिश की कहानी छुपी हुई है. जब भी इस दुकान पर पंक्चर की प्राॅब्लम लेकर कोई गाड़ी रुकती है, तो एक लड़की बाहर आती है. कुशलता से गाड़ी का पंक्चर ठीक करती है. अपना मेहनताना लेती है और फिर दुकान में जाकर किताबें खोलकर बैठ जाती है. पढ़ने लगती है. आने जाने वाले यह मंजर देखकर अक्सर हैरान भी होते हैं और खुश भी. वाकई इस लड़की के सपने और सपनों को पाने की उसकी राह, दोनों ही सुखद आश्चर्य पैदा करते हैं.
यह लड़की डूंगरपुर की 22 वर्षीय जागृति चौहान है. जागृति असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर यानी एएसआई की परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई है. राजस्थान पुलिस की अफसर बनना चाहती है. पंक्चर की दुकान इसलिए चलाती है ताकि अपने परिवार पर बोझ न बने उल्टे कुछ मदद कर सके. ऐसे उसके परिवार की माली हालत बहुत खराब नहीं है.
मेताली गांव की रहने वाली जागृति एक सामान्य परिवार से हैं. उनके पिता खाड़ी देश कुवैत में काम करते हैं. कुवैत जाने से पहले वह टायर पंक्चर निकालने का काम करते थे, तभी पिता को देखकर जागृति ने पंक्चर जोड़ना सीख लिया था. पिता के कुवैत जाने के बाद पंक्चर की दुकान बंद हो गई थी लेकिन, जागृति ने इसे दोबारा शुरू किया. अब जागृति पंक्चर बनाने के काम से दिन के 250 से 300 रुपये कमा लेती हैं. अपनी पढ़ाई के साथ परिवार का भी छोटा-मोटा खर्च उठा लेती हैं.
जागृति बताती हैं कि इसके अलावा वह ट्रैक्टर भी चला लेती हैं और अपने खेत की जुताई भी खुद कर लेती हैं. उनकी दो बहने हैं और एक भाई. बड़ी बहन नेहा बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है और छोटी जिज्ञासा व भाई कृष्ण राज पढ़ाई करते हैं. जागृति की मां सूर्या गृहिणी हैं.
.
Tags: Dungarpur news, Interesting story