रिपोर्टःजुगल कलाल
डूंगरपुर. हिन्दू धर्म में तुलसी पौधे का विशेष स्थान है. इसे सभी पौधों में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है और भगवान को तुलसी का भोग लगाया जाता है. अक्सर तुलसी के पौधे घर के आंगन में लगे हुए दिखते हैं. लेकिन, डूंगरपुर में नगरपरिषद की और से तुलसी गार्डन बनाया है. जहां तुलसी के 18 किस्म के पौधे लगाए गए हैं. वहीं, इस तुलसी गार्डन मेंं भगवान राधा-कृष्ण का मंदिर भी बनवाया गया है.
डूंगरपुर शहर के भंडारिया घाटा पर नगरपरिषद की ओर से यह तुलसी गार्डन बनाया गया है. गार्डन में कपूर तुलसी, लविंग तुलसी, वन तुलसी, अजवाइन तुलसी, तिलक तुलसी, मरवा श्याम तुलसी, ब्राजलियीन तुलसी (विष्णुकांता), राम तुलसी और श्याम तुलसी की किस्म लगी हुई हैं. नगर परिषद ने तुलसी गार्डन के लिए बेल्जियम तुलसी के बीज बेल्जियम से मंगवाए गए. वहीं, बद्रीनाथ से बद्री नारायण तुलसी के बीज, लोंग तुलसी केरल से और कपूर तुलसी बेंगलुरु से इसके बीज लाए गए.
क्यों बनाया तुलसी गार्डन
भंडारिया घाटा में कचरा संग्रहण ग्रह बना हुआ है. यहां पर पूरे शहर का कचरा इकट्ठा होता है. उसी के पास तुलसी गार्डन बनाया गया है. सभापति अमृत कलासुआ ने बताया की कचरा संग्रहण केंद्र होने की वजह से यहां पर बदबू और निगेटिव एनर्जी रहती है. इसलिए इस जगह पर पॉजिटिव एनर्जी लाने और आस पास खुशबूदार पर्यावरण बनाए रखने के लिए तुलसी गार्डन बनवाया गया.
बेल्जियम तुलसी में क्या है ख़ास
पर्यावरणविद् डीपी गोयल ने बताया कि बेल्जियम की तुलसी दूसरी तुलसी के मुकाबले आकार में बड़ी होती है. तुलसी के ऊपर नीले रंग का फूल लगता है. लेकिन, इसमें महक नहीं होती है. डीपी गोयल इसके पीछे कई पौराणिक कारण भी बताते हैं. नगर परिषद सभापति अमृत कलासुआ ने बताया कि तुलसी गार्डन में लगी अलग-अलग किस्म की तुलसी को क्षेत्रवासी नगर परिषद से अनुमति लेकर तुलसी के पत्ते विधि विधान के लिए ले जा सकते हैं.
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