लोकसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में ध्वस्त हुआ इस नेता का एकछत्र राज!
लोकसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में ध्वस्त हुआ इस नेता का एकछत्र राज!
डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा. (फाइल फोटो)
राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों ने डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा को तगड़ा झटका दिया है. बीजेपी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देने के बावजूद किरोड़ी विधानसभा चुनाव में कोई कमाल नहीं कर सके. और अब लोकसभा चुनाव में किरोड़ी की साख दांव पर होगी.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों ने डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा को तगड़ा झटका दिया है. बीजेपी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देने के बावजूद किरोड़ी विधानसभा चुनाव में कोई कमाल नहीं कर सके. उनकी पत्नी, भतीजा तो चुनाव हारे ही उनकी ही जाति में उनके घोर विरोधी न केवल चुनाव जीते बल्कि उन्हें मंत्री पद का तोहफा भी दे दिया गया है. ऐसे में किरोड़ी को अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए अब कड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है.
बीजेपी को जिताने के लिए किरोड़ीलाल मीणा ने विधानसभा चुनाव में पूरा जोर लगाया. मगर नतीजा बीजेपी के खिलाफ ही आया. दौसा, करौली, सवाई माधोपुर की सभी सीटों पर बीजेपी का सफाया हो गया. उनकी अपने विरोधियों को घेरने की रणनीति फ्लॉप हो गई. पत्नी गोलमा को रमेश मीणा के सामने सपोटरा में मुकाबले में उतारकर उन्हेांने सुर्खियां तो बटोरी लेकिन वो गोलमा को चुनाव नहीं जीता पाए.
किरोड़ी का भतीजा उनके धुर विरोधी ओमप्रकाश हुड़ला के सामने महुवा से मैदान में उतरा, मगर वहां पर वो भी कमाल नहीं दिखा पाया. किरोड़ी ने लालसोट में पिछले चुनाव में परसादी को हराकर मीणा समाज में अपनी बादशाहत का परचम लहराया था, मगर इस बार परसादी भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. किरोड़ी की सभी अपीलें मतदाताओं ने खारिज कर दीं.
जानकारों की मानें तो बीजेपी ने दस साल किरोड़ी को पार्टी से बाहर रखा और चुनाव से पहले पार्टी में लाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वसुंधरा सरकार के पूरे कार्यकाल में मीणा समाज की उपेक्षा हुई. मीना और मीणा को लेकर खूब राजनीति हुई. जाति प्रमाण पत्र बनवाने में मीणाओं के पसीने छूट गए. पूर्वी राजस्थान से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया. ओमप्रकाश हुडला को संसदीय सचिव बनाकर इतिश्री कर ली गई. इससे मीणा बीजेपी से बेहद खफा हो गए.
कांग्रेस में किरोड़ी लाल मीणा की काट के तौर पर रमेश और परसादी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. दोनों का किरोड़ी से छत्तीस का आंकड़ा रहा है तो ओमप्रकाश हुड़ला भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए हैं. किरोड़ी विरोधी कुनबा एकजुट हो रहा है और किरोड़ी की सियासी जमीन को खिसकाने की तैयारियां जोरों पर है.
जब विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजी, तब बीजेपी को किरोड़ी याद आये, उन्हें राज्यसभा भेजा गया, लेकिन इसका कोई मैसेज पार्टी मीणा समाज में नहीं दे पाई. उल्टा किरोड़ी पर जान कुर्बान कर देने वाले उनके समर्थक भी बीजेपी में जाने के उनके फैसले को पचा नहीं पाए. उन पर अवसरवादी होने के आरोपों की झड़ी लगी. फिर भी वक्त रहते किरोड़ी ने बीजेपी में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश की.
पीएम मोदी की दौसा में बड़ी रैली कराई और अपनी ताकत का अहसास कराया. मगर लाखों की उमड़ी भीड़ बीजेपी को जीत नहीं दिला सकी. उनकी पत्नी गोलमा रमेश मीणा के सामने मुकाबला हार गई. किरोड़ी की हार के बाद उनके विरोधियों के हौंसले बुलंद हैं. और वो किरोड़ी को राजनीतिक सबक सिखाने का इसे सही मौका मान रहे हैं. एक क्लिक और खबरें खुद चलकर आएगी आपके पास, सब्सक्राइब करें न्यूज़18 हिंदी WhatsApp अपडेट्स