गहलोत सरकार का कर्मचारियों को 1600 करोड़ का तोहफा, कोरोना काल में रोकी सैलरी जारी करने का आदेश

राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों का वेतन जारी करने का आदेश दिया है.
Jaipur News: राजस्थान के वित्त विभाग ने मार्च 2020 के आंशिक रूप से आस्थगित की गई कर्मचारियों के वेतन को जारी करने का आदेश दिया है. बजट सत्र (Rajasthan Budget 2021) के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी घोषणा की थी.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: February 26, 2021, 8:07 PM IST
जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने प्रदेश के 2020-21 के बजट में सरकारी कर्मचारियों के मार्च 2020 के आंशिक रूप से आस्थगित वेतन को दिए जाने की घोषणा की. इसके बाद अब वित्त शासन सचिव (बजट) डॉ. पृथ्वी ने राजकीय सेवा के कर्मचारियों के मार्च 2020 के आंशिक रूप से आस्थगित वेतन का भुगतान जारी करने के आदेश जारी कर दिए है. राज्य के वित्त विभाग ने वेतन भुगतान का आदेश जारी कर दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण के दौरान कर्मचारियों के डेफर किए गए वेतन देने की घोषणा की थी.
वित्त विभाग ने आदेश जारी कर के मुख्यमंत्री की घोषणा पर मुहर लगा दी है. डॉ. पृथ्वी ने बताया कि सेवानिवृत कार्मिकों के मार्च 2020 के आंशिक आस्थगित वेतन के भुगतान के आदेश दिसम्बर 2020 में ही जारी किए जा चुके हैं. शेष रहे सेवारत कर्मचारियों के आंशिक आस्थगित वेतन के भुगतान के आदेश जारी किए गए है. आस्थगित वेतन के भुगतान के लिए 1 हजार 600 करोड़ रुपये का आर्थिक भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.
कर्मचारी संगठन कर रहे थे मांग
राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठन राज्य सरकार से पिछले साल मार्च के महीने में स्थगित किए गए 15 दिन का वेतन का भुगतान करने की मांग कर रहे थे. राजस्थान कर्मचारी संयुक्त एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष ने बकाया भुगतान के लिए मुख्य सचिव निरंजन आर्य समेत वित्त विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को ज्ञापन भी दिया था. इन कर्मचारी संगठनों ने बकाया भुगतान के आदेश जारी करने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है.सरकार ने दिया फ्लैट में शिफ्ट होने का मौका
राजस्थान की राजधानी जयपुर सहितपूरे प्रदेश में कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों को पक्के घरों में शिफ्ट करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकारों ने कई योजनाएं चला रखी हैं लेकिन इन योजनाओं की जमीनी स्तर पर हालात बेहद खराब है. कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने में निकाय सफल नहीं हो पाए हैं जिसका जीता जागता उदाहरण है जयपुर का जेडीए. जयपुर जेडीए ने भी राज्य के अन्य निकायों की भांति कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने के लिए 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च करके 7640 से ज्यादा फ्लैट बनाए. कच्ची बस्तियों के लोग इन फ्लैट में शिफ्ट नहीं हो रहे. शहर की कच्ची बस्तियों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. अब जेडीए ने कच्ची बस्ती के लोगों को आखरी मौका देने का फैसला किया है.
ये भी पढ़ें: रॉबर्ट वाड्रा पर सतीश पूनिया का बड़ा हमला, बोले- 'पाप' ऐसे किए हैं कि मुकदमों से बरी होने की गुंजाइश कम
कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने के लिए कुल 7640 फ्लैट्स बनाए. दिल्ली-अजमेर और सीकर रोड पर 5816 फ्लैट्स बनाए गए थे. आगरा रोड पर बगराना में 1824 फ्लैट्स बनाए गए, इनमें अधिकतर मकान धूल खा रहे हैं. ये आंकड़े तो मात्र जयपुर विकास प्राधिकरण के हैं. बाकी निकायों का हाल तो जेडीए से भी बुरा है. अकेले जयपुर में जेडीए के अधीन 31 कच्ची बस्तियां हैं. जेडीए खुद की 17 बस्तियों को भी पूरी तरह शिफ्ट नहीं करा पाया है लेकिन जेडीए आयुक्त गौरव गोयल की मानेंं तो बार-बार मौका देने के बाद भी लोग कच्ची बस्ती छोड़कर पक्के मकान में शिफ्ट नहीं हो रहे हैं. ऐसे में कच्ची बस्ती के लोगो को अंतिम मौका दिया जाएगा.
वित्त विभाग ने आदेश जारी कर के मुख्यमंत्री की घोषणा पर मुहर लगा दी है. डॉ. पृथ्वी ने बताया कि सेवानिवृत कार्मिकों के मार्च 2020 के आंशिक आस्थगित वेतन के भुगतान के आदेश दिसम्बर 2020 में ही जारी किए जा चुके हैं. शेष रहे सेवारत कर्मचारियों के आंशिक आस्थगित वेतन के भुगतान के आदेश जारी किए गए है. आस्थगित वेतन के भुगतान के लिए 1 हजार 600 करोड़ रुपये का आर्थिक भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.
कर्मचारी संगठन कर रहे थे मांग
राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठन राज्य सरकार से पिछले साल मार्च के महीने में स्थगित किए गए 15 दिन का वेतन का भुगतान करने की मांग कर रहे थे. राजस्थान कर्मचारी संयुक्त एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष ने बकाया भुगतान के लिए मुख्य सचिव निरंजन आर्य समेत वित्त विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को ज्ञापन भी दिया था. इन कर्मचारी संगठनों ने बकाया भुगतान के आदेश जारी करने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है.सरकार ने दिया फ्लैट में शिफ्ट होने का मौका
राजस्थान की राजधानी जयपुर सहितपूरे प्रदेश में कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों को पक्के घरों में शिफ्ट करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकारों ने कई योजनाएं चला रखी हैं लेकिन इन योजनाओं की जमीनी स्तर पर हालात बेहद खराब है. कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने में निकाय सफल नहीं हो पाए हैं जिसका जीता जागता उदाहरण है जयपुर का जेडीए. जयपुर जेडीए ने भी राज्य के अन्य निकायों की भांति कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने के लिए 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च करके 7640 से ज्यादा फ्लैट बनाए. कच्ची बस्तियों के लोग इन फ्लैट में शिफ्ट नहीं हो रहे. शहर की कच्ची बस्तियों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. अब जेडीए ने कच्ची बस्ती के लोगों को आखरी मौका देने का फैसला किया है.
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कच्ची बस्तियों को शिफ्ट करने के लिए कुल 7640 फ्लैट्स बनाए. दिल्ली-अजमेर और सीकर रोड पर 5816 फ्लैट्स बनाए गए थे. आगरा रोड पर बगराना में 1824 फ्लैट्स बनाए गए, इनमें अधिकतर मकान धूल खा रहे हैं. ये आंकड़े तो मात्र जयपुर विकास प्राधिकरण के हैं. बाकी निकायों का हाल तो जेडीए से भी बुरा है. अकेले जयपुर में जेडीए के अधीन 31 कच्ची बस्तियां हैं. जेडीए खुद की 17 बस्तियों को भी पूरी तरह शिफ्ट नहीं करा पाया है लेकिन जेडीए आयुक्त गौरव गोयल की मानेंं तो बार-बार मौका देने के बाद भी लोग कच्ची बस्ती छोड़कर पक्के मकान में शिफ्ट नहीं हो रहे हैं. ऐसे में कच्ची बस्ती के लोगो को अंतिम मौका दिया जाएगा.