नागौर में बीजेपी को बड़ा झटका, MLA हबीबुर्रहमान का इस्तीफा बना चर्चा का विषय

विधायक हबीबुर्रहमान द्वारा भेजा गया इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष के नाम के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। फोटो : न्यूज 18 राजस्थान ।
हबीबुर्रहमान के बीजेपी छोड़ देने से नागौर की राजनीति में उथलपुथल मची हुई है. नागौर में अल्पसंख्यक समुदाय का बड़ा वोट बैंक हैं. वहीं उनका इस्तीफा एक खामी की वजह से भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: November 13, 2018, 11:47 AM IST
टिकट कटने से खफा होकर नागौर विधायक हबीबुर्रहमान ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. हबीबुर्रहमान के बीजेपी छोड़ देने से नागौर की राजनीति में उथलपुथल मची हुई है. नागौर में अल्पसंख्यक समुदाय का बड़ा वोट बैंक हैं. वहीं उनका इस्तीफा एक खामी की वजह से भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
हबीबुर्रहमान ने अपना इस्तीफा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी को ई-मेल के जरिये भेजा है. लेटरपैड पर भेजे गए इस इस्तीफे में एक चूक रह गई. इस्तीफे में प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की जगह प्रभुलाल सैनी लिख दिया गया. यह इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और लोग इसके जमकर मजे ले रहे हैं. लोगों की प्रतिक्रिया है कि टिकट कटते ही विधायक प्रदेशाध्यक्ष का नाम ही भूल गए. विधायक के कार्यकर्ताओं ने इसे तकनीकी खामी बताते हुए कहा कि इस्तीफा मदनलाल सैनी को ही मेल किया गया है.
यहां पढ़ें- राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 से जुड़ी ताजा खबरें
मजबूत नेता माना जाता है हबीबुर्रहमान कोनागौर में अल्पसंख्यकों का बड़ा वोट बैंक है. ऐसे में हबीबुर्रहमान का टिकट कटने से लोग हैरान हैं. बड़े अल्पसंख्यक वोट बैंक की वजह से हबीबुर्रहमान को यहां मजबूत नेता माना जाता है. नागौर में अल्पसंख्यकों के करीब 60 हजार वोट हैं. दूसरा बड़ा वोट बैंक जाटों का है. यहां जाट समाज के करीब 55 हजार वोट हैं. नागौर सीट पर कुल 241572 वोट हैं.
यहां पढ़ें- राजस्थान विधानसभा चुनाव की ताजा अपडेट
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टिकट कटने से नाराज नागौर विधायक हबीबुर्रहमान ने छोड़ी BJP, कांग्रेस के संपर्क में
बीजेपी के लिए बड़ा झटका
बीजेपी ने इस बार आरएसएस के समर्पित और सबसे पुराने कार्यकर्ताओं में शामिल मोहनराम चौधरी पर भरोसा जताकर उनको नागौर से टिकट दिया है. हबीबुर्रहमान का बीजेपी छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका है. इसके पीछे वजह यह भी है कि हबीबुर्रहमान को मुसलमानों सर्वमान्य नेता माना जाता है. हालांकि कांग्रेस ने पिछले चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय के ही शौकत अली को हबीबुर्रहमान के सामने उतारा था, लेकिन उनको कुछ हजार वोट ही मिल पाए थे.
हबीबुर्रहमान ने अपना इस्तीफा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी को ई-मेल के जरिये भेजा है. लेटरपैड पर भेजे गए इस इस्तीफे में एक चूक रह गई. इस्तीफे में प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की जगह प्रभुलाल सैनी लिख दिया गया. यह इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और लोग इसके जमकर मजे ले रहे हैं. लोगों की प्रतिक्रिया है कि टिकट कटते ही विधायक प्रदेशाध्यक्ष का नाम ही भूल गए. विधायक के कार्यकर्ताओं ने इसे तकनीकी खामी बताते हुए कहा कि इस्तीफा मदनलाल सैनी को ही मेल किया गया है.
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मजबूत नेता माना जाता है हबीबुर्रहमान कोनागौर में अल्पसंख्यकों का बड़ा वोट बैंक है. ऐसे में हबीबुर्रहमान का टिकट कटने से लोग हैरान हैं. बड़े अल्पसंख्यक वोट बैंक की वजह से हबीबुर्रहमान को यहां मजबूत नेता माना जाता है. नागौर में अल्पसंख्यकों के करीब 60 हजार वोट हैं. दूसरा बड़ा वोट बैंक जाटों का है. यहां जाट समाज के करीब 55 हजार वोट हैं. नागौर सीट पर कुल 241572 वोट हैं.
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बीजेपी के लिए बड़ा झटका
बीजेपी ने इस बार आरएसएस के समर्पित और सबसे पुराने कार्यकर्ताओं में शामिल मोहनराम चौधरी पर भरोसा जताकर उनको नागौर से टिकट दिया है. हबीबुर्रहमान का बीजेपी छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका है. इसके पीछे वजह यह भी है कि हबीबुर्रहमान को मुसलमानों सर्वमान्य नेता माना जाता है. हालांकि कांग्रेस ने पिछले चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय के ही शौकत अली को हबीबुर्रहमान के सामने उतारा था, लेकिन उनको कुछ हजार वोट ही मिल पाए थे.