राजस्थान (Rajasthan) में एक बार फिर से टिड्डी टेरर (Locust Terror) की शुरुआत हो चुकी है. खास बात ये है कि इस बार खतरा पिछली बार से कहीं ज्यादा बड़ा है. टिड्डी नियंत्रण संगठन के अधिकारियों के मुताबिक इस बार प्रकोप पिछली बार से 2-3 गुना ज्यादा हो सकता है. टिड्डियों का एक साल में तीन बार प्रजनन होता है. अरब देशों में इनका स्प्रिंग ब्रीडिंग का समय पूरा हो रहा है और अब ये ग्रीष्मकालीन ब्रीडिंग के लिए भारत-पाकिस्तान (India and Pakistan) जैसे देशों का रुख कर रही हैं. मानसूनी हवाओं के चलते भी इनका भारत की ओर आने का खतरा ज्यादा है.
पाकिस्तान की सीमा से राजस्थान आ रही हैं. पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत के रास्ते ये टिड्डियां राजस्थान आ रही हैं. राजस्थान में अभी जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और
जिले में टिड्डीयों का प्रकोप है. इसके साथ ही पंजाब के फाजिल्का जिले के साथ लगी सीमा के गांवों में भी टिड्डियां आ चुकी हैं. पिछली बार टिड्डी नियंत्रण संगठन ने 4 लाख 3 हजार 488 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण किया था जबकि राज्य सरकार ने करीब 1 लाख 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी कंट्रोल किया था.
टिड्डियों ने इस बार समय से पूर्व घुसपैठ कर संबंधित विभागों को भी पशोपेश में डाल दिया है. टिड्डी नियंत्रण संगठन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. के एल गुर्जर के मुताबिक टिड्डी अटैक के मई माह के अंत में होने का अनुमान था, लेकिन इस बार टिड्डियों ने 11 अप्रेल को ही प्रदेश में घुसपैठ कर दी. पिछले साल 22 मई से टिड्डी का प्रकोप शुरू हुआ था जो 17 फरवरी तक चला था. इस तरह 2 महीने से भी कम अंतराल में फिर से टिड्डी का प्रकोप शुरू हो गया जिसने कई चुनौतियां खड़ी कर दी है.
डॉ. के एल गुर्जर के मुताबिक टिड्डी अटैक शुरू होते ही नियंत्रण के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. अब तक 4 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण किया भी जा चुका है. साथ ही राज्य सरकार भी अपने स्तर पर नियंत्रण के प्रयास में जुटी है. कोशिश पंख आने से पहले ही टिड्डीयों को खत्म करने की है ताकि वो उड़कर दूसरे क्षेत्रों में ना जा सकें.
टिड्डी करीब 20 दिन में मैच्योर हो जाती है और प्रजनन शुरू कर देती हैं. 11 अप्रेल से ही नियंत्रण तो शुरू कर दिया गया लेकिन 25-30 अप्रेल आते-आते पंख वाली टिड्डियों ने धावा बोलना शुरू कर दिया जिनसे निपटना अब बड़ी चुनौती है. टिड्डी नियंत्रण के लिए गैर कृषि क्षेत्र में मेलाथियान 96 प्रतिशत रसायन का इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि कृषि क्षेत्र में दूसरे अनुमति प्राप्त रसायनों का छिड़काव हो रहा है.
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FIRST PUBLISHED : May 07, 2020, 15:13 IST