. कई क्षेत्रों में क्रान्ति ला चुकी नैनो तकनीक अब कृषि क्षेत्र (Agricultural sector) में अपना कमाल दिखाने वाली है. बोरे भरकर खेतों में खाद का छिड़काव अब बीते दिन की बात होगी. दुनिया का पहला नैनो तकनीक आधारित यूरिया (Nano urea) भारत में तैयार कर लिया गया है. इसे ईजाद करने में जोधपुर मूल के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया (Dr. Ramesh Ralia) की महत्वपूर्ण भूमिका है.
इफको ने हाल ही में अपनी 50वीं वार्षिक आम बैठक में नैनो तकनीक आधारित यूरिया लॉच किया . इस नैनो खाद का पेटेंट जोधपुर मूल के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया के नाम है. डॉ. रलिया की पेटेंटेड तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया गया नैनो यूरिया 'आत्मनिर्भर भारत' और 'आत्मनिर्भर कृषि' की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा.
नैनो यूरिया से फसलों की पैदावार बढ़ती है. पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है. भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी यह कारगर साबित होगा. नैनो यूरिया की 500 एमएल की बोतल सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर होगी. आकार छोटा होने से परिवहन और भण्डारण की लागत में कमी आएगी. अभी किसान जिस सामान्य यूरिया का प्रयोग करते हैं उसका 75 फीसद हिस्सा बर्बाद होता है. सामान्य यूरिया से मिट्टी और पौधों को भी खतरा बढ़ जाता है.
नैनो यूरिया सस्ता होने के चलते किसानों की लागत कम होगी साथ ही यूरिया की बर्बादी कम होगी. वहीं सब्सिडी पर सरकार का पैसा भी बचेगा. देशभर में किए गए नैनो यूरिया के परीक्षण के बाद इसे उर्वरक नियंत्रण आदेश में शामिल कर लिया गया है. इसकी प्रभावशीलता जांचने के लिए देश में 94 से ज्यादा फसलों पर 11 हजार कृषि क्षेत्र में परीक्षण किए गए थे. इन परीक्षणों में फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी लाने के मकसद से इसे तैयार किया गया है.
नैनो यूरिया ईजाद करने वाले जोधपुर मूल के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक रहे हैं. वर्तमान में वे इफको के महाप्रबंधक एवं अनुसन्धान प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं. जोधपुर जिले के खारिया खंगार गांव में किसान परिवार में जन्मे डॉ. रलिया ने प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से और डॉक्टरेट की उपाधि जोधपुर के जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से हासिल की है.
उन्होंने इफको के साथ भारत में नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर की स्थापना की है. इसमें कृषि, नैनो टेक्नोलाजी और पर्यावरण संबंधित शोध होते हैं. डॉ. रलिया के नाम 15 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हैं. उन्हें भारत, अमरीका, चीन, इंग्लैंड और ब्राजील जैसे कई देशो में वैज्ञानिक पुरस्कारों से नवाजा गया है. हाल ही में उन्हें अमेरिका के 2020 पेटेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
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FIRST PUBLISHED : June 01, 2021, 12:45 IST