राज्य सरकार ग्राम पंचायतों की तर्ज पर पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव (Elections of Panchayat Committee and District Council Members) भी बिना किसी पार्टी के सिंबल के करवाने पर विचार कर रही है. सरकार में इसे लेकर उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है. सरकार बिना सिंबल पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव करवाने पर कभी भी फैसला कर सकती है. सदस्यों के अलावा प्रधान और जिला प्रमुख के चुनाव भी बिना सिंबल या सिंबल पर कराने को लेकर भी मंथन चल रहा है.
और जिला परिषद के चुनाव बिना सिंबल करवाने को लेकर कांग्रेस विधायकों की राय ली गई थी. सीएम अशोक गहलोत ने सभी विधायकों से इस मुद्दे पर उनकी और क्षेत्र की जनता की राय के बारे में पूछा था. विधायकों ने अपनी राय से सीएम को अवगत करवा दिया है.
इस मामले में विधायकों की मिली जुली राय सामने आई है. कांग्रेस के जिन विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस का ग्रासरूट पर जनसमर्थन ठीक है, वे सिंबल पर ही चुनाव चाहते हैं. कमजोर स्थिति वाले और ग्रामीण इलाकों में (जमीन पर जहां कांग्रेस का जनसमर्थन कमजोर है) वहां के विधायकों ने बिना सिंबल चुनाव करवाने की राय दी है. इस पूरे मसले पर अब अंतिम फैसला मुख्यमंत्री को करना है. विधायकों के अलावा इसके लिये विधिक राय भी ले ली गई है. अब कभी भी कैबिनेट से पारित करवाकर नियमों में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जा सकता है. 25 साल से चल रहे प्रावधान को अध्यादेश लाकर कभी भी बदला जा सकता है.
प्रदेश में सभी पंचायत समितियों और जिला परिषदों के सदस्यों के साथ प्रधान तथा जिला प्रमुखों के चुनाव की घोषणा अगले महीने कभी भी हो सकती है. बताया जा रहा है कि सीएम ने विधायकों की राय के बाद इस बारे में लगभग अपना मन बना लिया है. साल 1995 से पहले पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव बिना सिंबल के ही होते थे. तत्कालीन सीएम दिवंगत भैरो सिंह शेखावत ने ही सबसे पहले थ्री टीयर पंचायतीराज व्यवस्था में पंचायत समिति सदस्य, प्रधान, जिला परिषद सदस्य और जिला प्रमुख का चुनाव पार्टी सिंबल पर करवाने का फैसला किया था.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2020, 07:53 IST