Rajasthan: बीटीपी को मिला ओवैसी का साथ, गठबंधन हुआ तो बिगाड़ सकते हैं 50 सीटों पर कांग्रेस का समीकरण

कांग्रेस से नाराज चल रहे मुस्लिम नेताओं ने इससे पहले ओवैसी से संपर्क कर राजस्थान में पार्टी को सक्रिय करने का निमंत्रण दिया था.
राजस्थान में नये राजनीतिक समीकरणों (New political equations) की आहट हो रही है. पंचायती राज चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस की एकता की शिकार हुई बीटीपी के प्रति एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सहानुूभूति दिखाई है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 14, 2020, 12:12 PM IST
जयपुर. डूंगरपुर जिला प्रमुख चुनाव में बीटीपी (BTP) को हराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी (Congress and BJP) के एक होने के मुद्दे पर पैदा हुए सियासी विवाद में अब असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भी कूद पड़े हैं. ओवैसी ने कांग्रेस-बीजेपी पर निशाना साधा है. एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता ओवैसी ने ट्वीट करके कांग्रेस और बीजेपी को एक बताते हुए बीटीपी को किंगमेकर बताया है. इसके साथ ही इस संघर्ष में उसका साथ देने की बात कहकर गठबंधन का न्यौता भी दे दिया है.
ओवैसी ने बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष छोटूभाई वासवा के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि "वसावाजी कांग्रेस आपको और मुझको सुबह-शाम विपक्षी एकता का पाठ पढ़ाएगी. लेकिन खुद जनेऊधारी एकता से ऊपर नहीं उठेगी. ये दोनों एक हैं. आप कब तक इनके सहारे चलोगे ? क्या आपकी स्वतंत्र सियासी ताकत किसी किंगमेकर होने से कम है ? उम्मीद है कि आप जल्द ही एक सही फैसला लेंगे. हिस्सेदारी के इस संघर्ष में हम आपके साथ हैं". ओवैसी की पार्टी के राजस्थान में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की सियासी हलकों में चर्चाएं थीं. लेकिन अब ओवैसी के इस ट्वीट से इन चर्चाओं को और भी पुख्ता आधार मिल गया है.
निकाय चुनाव परिणाम: कांग्रेस की जीत के बावजूद 4 मंत्रियों और 18 विधायकों के क्षेत्रों में पार्टी को नहीं मिला बहुमत
ओवैसी कांग्रेस और बीटीपी के बीच तल्खी बढ़ने का फायदा उठाना चाहते हैं
कांग्रेस से नाराज चल रहे मुस्लिम नेताओं ने इससे पहले ओवैसी से संपर्क कर राजस्थान में पार्टी को सक्रिय करने का निमंत्रण दिया था. डूंगरपुर में जिला प्रमुख और कई जगह प्रधान के चुनाव में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के एक होने से सिसासी समीकरण बदल गए हैं. बीटीपी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही है. कांग्रेस और बीटीपी के बीच तल्खी बढ़ने का फायदा ओवैसी उठाना चाहते हैं.
मौजूदा राजनीतिक हालात राजस्थान में औवेसी की एंट्री के लिए अनुकूल हैं
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक ओवैसी के लिए मौजूदा राजनीतिक हालात राजस्थान में उनकी एंट्री के लिए अनुकूल हैं. ओवैसी मुस्लिम और आदिवासी समीकरण बनाने के प्रयास में हैं. अगर ओवैसी की पार्टी का बीटीपी से गठबंधन होता है तो वे 50 से ज्यादा सीटों पर समीकरण बिगाड़ेंगे. बीटीपी का राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में प्रभाव है. वहीं गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में भी उसकी राजनीतिक जमीन मजबूत है. ओवैसी बीटीपी के सहारे आदिवासी इलाके में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं.
निगाहें बीटीपी और ओवैसी की पार्टी के अगले कदम पर टिकी हुई है
ओवैसी प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य 40 सीटों के अलावा आदिवासी इलाके में एंट्री करना चाहते हैं. फिलहाल सबकी निगाहें बीटीपी और ओवैसी की पार्टी के अगले कदम पर टिकी हुई है. लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में राजस्थान की सियासत अब दो दलीय व्यवस्था से निकलकर बहुदलीय व्यवस्था की तरफ बढ़ेगी.
ओवैसी ने बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष छोटूभाई वासवा के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि "वसावाजी कांग्रेस आपको और मुझको सुबह-शाम विपक्षी एकता का पाठ पढ़ाएगी. लेकिन खुद जनेऊधारी एकता से ऊपर नहीं उठेगी. ये दोनों एक हैं. आप कब तक इनके सहारे चलोगे ? क्या आपकी स्वतंत्र सियासी ताकत किसी किंगमेकर होने से कम है ? उम्मीद है कि आप जल्द ही एक सही फैसला लेंगे. हिस्सेदारी के इस संघर्ष में हम आपके साथ हैं". ओवैसी की पार्टी के राजस्थान में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की सियासी हलकों में चर्चाएं थीं. लेकिन अब ओवैसी के इस ट्वीट से इन चर्चाओं को और भी पुख्ता आधार मिल गया है.
निकाय चुनाव परिणाम: कांग्रेस की जीत के बावजूद 4 मंत्रियों और 18 विधायकों के क्षेत्रों में पार्टी को नहीं मिला बहुमत
कांग्रेस से नाराज चल रहे मुस्लिम नेताओं ने इससे पहले ओवैसी से संपर्क कर राजस्थान में पार्टी को सक्रिय करने का निमंत्रण दिया था. डूंगरपुर में जिला प्रमुख और कई जगह प्रधान के चुनाव में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के एक होने से सिसासी समीकरण बदल गए हैं. बीटीपी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही है. कांग्रेस और बीटीपी के बीच तल्खी बढ़ने का फायदा ओवैसी उठाना चाहते हैं.
वसावाजी कांग्रेस आपको और मुझको सुबह-शाम "विपक्षी एकता" का पाठ पढ़ाएगी लेकिन ख़ुद "जनेऊधारी एकता" से ऊपर नहीं उठेगी।ये दोनों एक है।आप कब तक इनके सहारे चलेंगे?क्या आपकी स्वतंत्र सियासी ताक़त किसी "kingmaker" होने से कम है?उम्मीद है के आप जल्द ही एक सही फैसला लेंगे। हिस्सेदारी के... https://t.co/4Bz3vVKcZp
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2020
मौजूदा राजनीतिक हालात राजस्थान में औवेसी की एंट्री के लिए अनुकूल हैं
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक ओवैसी के लिए मौजूदा राजनीतिक हालात राजस्थान में उनकी एंट्री के लिए अनुकूल हैं. ओवैसी मुस्लिम और आदिवासी समीकरण बनाने के प्रयास में हैं. अगर ओवैसी की पार्टी का बीटीपी से गठबंधन होता है तो वे 50 से ज्यादा सीटों पर समीकरण बिगाड़ेंगे. बीटीपी का राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में प्रभाव है. वहीं गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में भी उसकी राजनीतिक जमीन मजबूत है. ओवैसी बीटीपी के सहारे आदिवासी इलाके में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं.
निगाहें बीटीपी और ओवैसी की पार्टी के अगले कदम पर टिकी हुई है
ओवैसी प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य 40 सीटों के अलावा आदिवासी इलाके में एंट्री करना चाहते हैं. फिलहाल सबकी निगाहें बीटीपी और ओवैसी की पार्टी के अगले कदम पर टिकी हुई है. लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में राजस्थान की सियासत अब दो दलीय व्यवस्था से निकलकर बहुदलीय व्यवस्था की तरफ बढ़ेगी.