राजस्थान में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रहे हैं ऊंट और गधे, दोनों की संख्या में भारी गिरावट

भारत में कई लोगों ने दावा किया है कि केवल एक महीने लगातार ऊंटनी का दूध पीने से शुगर कंट्रोल हो गया है.
राजस्थान (Rajasthan) में ऊंट और गधे (Camel and Donkey) धीरे-धीरे विलुप्त ( Extinct) होने की कगार पर पहुंचते जा रहे हैं. प्रदेश में ऊंट और गधों की संख्या में भारी गिरावट (Huge fall) दर्ज की गई है. 20वीं पशु गणना (20th Animal Count) में सामने आए आंकड़े चौंकाने वाले तो हैं ही वे चिंतित करने वाले भी हैं.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: October 17, 2019, 5:33 PM IST
जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में ऊंट और गधे (Camel and Donkey) धीरे-धीरे विलुप्त ( Extinct) होने की कगार पर पहुंचते जा रहे हैं. प्रदेश में ऊंट और गधों की संख्या में भारी गिरावट (Huge fall) दर्ज की गई है. 20वीं पशु गणना (20th Animal Count) में सामने आए आंकड़े चौंकाने वाले तो हैं ही वे चिंतित करने वाले भी हैं. हालांकि प्रदेश में गौवंश (Cows) और भैंस वंश में कुछ बढ़ोतरी भी देखने मिली है, लेकिन ऊंट और गधों की कम होती संख्या ने चिंता (Anxiety) बढ़ा दी है.
गधों की संख्या में 71.31 प्रतिशत की आई कमी
हाल ही में हुई 20वीं पशु गणना में ऊंटों की संख्या में 34.69 प्रतिशत तो गधों की संख्या में 71.31 प्रतिशत की कमी हुई है. वहीं भेड़ों, बकरियों, घोड़ों और खच्चरों की संख्या में भी 20वीं पशु गणना में कमी दर्ज की गई है. गौवंश और भैंसवंश की संख्या में थोड़ा इजाफा जरूर हुआ है. प्रदेश में वर्ष 2012 में 5 करोड़ 77 लाख पशुधन था, लेकिन वर्ष 2019 में यह संख्या घटकर 5 करोड़ 68 लाख रह गई है.
ऊंटों की संख्या 3.26 लाख से घटकर 2.13 लाख रह गईइस अवधि में ऊंटों की संख्या 3.26 लाख से घटकर 2.13 लाख रह गई है, जबकि गधों की संख्या 81 हजार से घटकर महज 23 हजार रह गई है. भेड़ों की संख्या 91 लाख से घटकर 79 लाख पर आ गई है. बकरियों की संख्या 2.16 करोड़ से घटकर 2.08 करोड़ हो गई है. घोड़े और खच्चरों की संख्या 38 हजार से घटकर 34 हजार पर आ गई है. गौवंश की संख्या 1.33 करोड़ से बढ़कर 1.39 करोड़ और भैंसवंश की संख्या 1.30 करोड़ से बढकर 1.37 करोड़ हो गई है.

ऊंट को राज्य पशु का दर्जा प्राप्त है
इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा चिंता ऊंट और गधों की घटती संख्या को लेकर है. वर्ष 2014 में प्रदेश में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिया गया था. इसे बचाने के लिए कई प्रयास भी किए जा रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद ऊंटों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. देश के 80 फीसदी से ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाए जाते हैं. वर्ष 1991 तक प्रदेश में ऊंटों की संख्या 8 से 10 लाख के बीच थी, लेकिन उसके बाद संख्या में निरंतर गिरावट होती जा रही है. देश के दूसरे सभी राज्यों में भी गधों की संख्या में बड़े स्तर पर कमी हुई है.
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गधों की संख्या में 71.31 प्रतिशत की आई कमी
हाल ही में हुई 20वीं पशु गणना में ऊंटों की संख्या में 34.69 प्रतिशत तो गधों की संख्या में 71.31 प्रतिशत की कमी हुई है. वहीं भेड़ों, बकरियों, घोड़ों और खच्चरों की संख्या में भी 20वीं पशु गणना में कमी दर्ज की गई है. गौवंश और भैंसवंश की संख्या में थोड़ा इजाफा जरूर हुआ है. प्रदेश में वर्ष 2012 में 5 करोड़ 77 लाख पशुधन था, लेकिन वर्ष 2019 में यह संख्या घटकर 5 करोड़ 68 लाख रह गई है.
ऊंटों की संख्या 3.26 लाख से घटकर 2.13 लाख रह गईइस अवधि में ऊंटों की संख्या 3.26 लाख से घटकर 2.13 लाख रह गई है, जबकि गधों की संख्या 81 हजार से घटकर महज 23 हजार रह गई है. भेड़ों की संख्या 91 लाख से घटकर 79 लाख पर आ गई है. बकरियों की संख्या 2.16 करोड़ से घटकर 2.08 करोड़ हो गई है. घोड़े और खच्चरों की संख्या 38 हजार से घटकर 34 हजार पर आ गई है. गौवंश की संख्या 1.33 करोड़ से बढ़कर 1.39 करोड़ और भैंसवंश की संख्या 1.30 करोड़ से बढकर 1.37 करोड़ हो गई है.

गधों की संख्या में 71.31 प्रतिशत की कमी हुई है. Photo: Getty Images
ऊंट को राज्य पशु का दर्जा प्राप्त है
इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा चिंता ऊंट और गधों की घटती संख्या को लेकर है. वर्ष 2014 में प्रदेश में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिया गया था. इसे बचाने के लिए कई प्रयास भी किए जा रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद ऊंटों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. देश के 80 फीसदी से ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाए जाते हैं. वर्ष 1991 तक प्रदेश में ऊंटों की संख्या 8 से 10 लाख के बीच थी, लेकिन उसके बाद संख्या में निरंतर गिरावट होती जा रही है. देश के दूसरे सभी राज्यों में भी गधों की संख्या में बड़े स्तर पर कमी हुई है.
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