जयपुर. देशभर में 1 मई को देश में 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वेक्सीनेशन ड्राइव (Vaccination drive) शुरू हो रही है. इससे पहले गुरुवार को राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने केंद्र सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और अन्य को नोटिस जारी करके पूछा है कि पूरे देश में एक ही कोरोना वैक्सीन के अलग-अलग दाम क्यों (Why different rates ) तय किए गए हैं? जस्टिस सबीना की खंडपीठ ने यह नोटिस वरिष्ठ पत्रकार मुकेश शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है. मामले में अदालत 12 मई को अगली सुनवाई करेगी.
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभय भंडारी ने कहा कि देश में एक ही वैक्सीन की तीन दरें तय की गई हैं. केंद्र सरकार को कोविशील्ड और को-वैक्सीन 150 रुपए में मिलेगी. वहीं, यही वैक्सीन राज्य सरकार को 400 रुपए में उपलब्ध होगी. निजी अस्पताल को इसके लिए 600 और 1200 रुपए प्रति डोज चुकाने होंगे. ऐसे में केंद्र सरकार और निजी कंपनियां संविधान के आर्टिकल 14 और 21 का उल्लंघन कर रही हैं.
बजट में 35 हजार करोड़ का प्रावधान, फिर भी फ्री वैक्सीनेशन नहीं
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में वैक्सीनेशन को लेकर 35 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. पीएम केयर्स फंड में भी करीब 900 से 1 हजार करोड़ रुपए का फंड होने का अनुमान है. ऐसे में केंद्र सरकार को पूरे देश में फ्री वैक्सीनेशन ड्राइव चलानी चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके लिए पहले से तैयारी कर रखी थी.
रेट को लेकर विवाद
उल्लेखनीय है कि वैक्सीन की दरों को लेकर पहले ही देशभर में हल्ला मचा हुआ है. कई राज्य पहले भी वैक्सीन की दरों में भारी अंतर को लेकर आपत्तियां उठा चुके हैं. वहीं, इस मसले पर सोशल मीडिया में भी बहस छिड़ी हुई है. लोगों का तर्क है कि एक ही चीज की अलग-अलग कीमत कैसे हो सकती है. राजस्थान सहित कई राज्य फ्री वैक्सीनेशन की घोषणा कर चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 29, 2021, 14:15 IST