कोरोना (COVID-19) संकट से किस तरह लोगों को बचाया जा सकता है इसे लेकर दुनियाभर में इसकी दवा और वैक्सीन (Medicine and vaccine) की खोज की जा रही हैं. वहीं राजधानी जयपुर में भी विज्ञान में रूचि रखने वाले कुछ युवाओं ने अपनी क्रिएटिविटी और समझ के आधार पर कुछ ऐसे प्रोजेक्ट्स (Projects) तैयार किए हैं, जिनसे कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिल सके. ये युवा लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान खाली समय को व्यर्थ गवानें की बजाय कुछ मददगार चीजें तैयार करने में जुटे हैं.
के छात्रों ने एक अनूठा मोबाइल ऐप ‘वॉश योर हैंड्स‘ बनाया है. यह ऐप निर्धारित समय पर (प्रत्येक 1 घंटे में अथवा इससे अधिक) में यूजर को हाथ धोने का रिमाइंडर देता है और संदेश देता है कि आपके परिवार की सुरक्षा में केवल
लगते हैं. यह ऐप यूजर की लोकेशन को ध्यान में रखते हुए जब वह बाहर से घर में आता है तो भी उसको हाथ धोने के लिए याद दिलाता है. इसमें भारत में कोरोना की स्थिति का लाइव अपडेट और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिए गए सभी दिशा निर्देशों भी देखे जा सकते हैं. सुशांत मेहता, प्रतीक जैन, अतीक, क्षितिज और सागरिका ने विश्वविद्यालय के नवोन्मेष निदेशक प्रो. विजयपाल सिंह ढाका के मार्गदर्शन में यह ऐप बनाया है. इससे पहले इन स्टूडेंट्स ने हर्बल सेनिटाइजर बनाने में भी सफलता अर्जित की थी.
इन दिनों सोशल डिस्टेंसिंग के लिए भी कई प्रयोग किए जा रहे हैं. राशन की दुकान हो या सब्जी मंडी. सभी जगह चॉक या गुलाल से घेरे बनाए जा रहे हैं. लेकिन यह हर दिन की कसरत बन गई है. इससे निजात दिलाने के लिए जयपुर के युवा ने एक मशीन तैयार की है. इससे आसानी से सोशल डिस्टेंसिंग के सर्कल बनाए जा सकते हैं. जयपुर के महेन्द्र चौधरी सॉफ्टवेयर इंजिनियर हैं. इन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोला बनाने की मशीन बनाई है. यह मशीन ऑयल पेंट से घेरे बनाती है. एक लीटर ऑयल से 200 घेरे बनाती है. मशीन को रोड पर आसानी से चलाने के लिए इसके लिए व्हील भी लगाई है. यह तीन से चार सैकेंड में एक घेरा बना सकती है.
जयपुर के युवा इनोवेटर अशोक कुमार आसरानी ने आइसोलेटेड बेड का प्रोजेक्ट तैयार किया है. उसी बेड पर मरीजों को लाने ले जाने वाला स्ट्रक्चर भी तैयार किया गया है. इस बेड का नाम आइसोलेटेड बेड विद स्ट्रक्चर है. इस स्ट्रक्चर पर ही मरीज को सभी सुविधाएं दी जाएंगी. इसमें एक साइड से खिड़की है. इसी में अंदर ऑक्सीजन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध रह सकती हैं. जब डॉक्टर को मरीज का इलाज करना होगा तो वह स्ट्रक्चर में लगी खिड़की को खोलकर उसका इलाज कर सकता है. इससे डॉक्टर की मरीज से दूरी भी रहेगी और संक्रमण फैलने की संभावना कम होगी है. इस बेड का साइड 7×5 फिट है. इसका अभी मॉडल तैयार किया गया है. इस बैड को चिकित्सा विभाग की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इस प्रोजेक्ट को सरकार के ध्यानार्थ भेजा गया है.
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FIRST PUBLISHED : April 18, 2020, 14:13 IST