आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को देय 10 फीसदी EWS आरक्षण (EWS Reservation) से संपत्ति संबंधी प्रावधान (Property provision) हटाने का सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) का फैसला गेमचेंजर (Game changer) साबित हुआ है. संपत्ति संबंधी प्रावधान हटने के बाद अब तेजी से EWS के सर्टिफिकेट (Certificate) बन रहे हैं. गत दो माह से भी कम समय में 1.33 लाख से ज्यादा EWS सर्टिफिकेट जारी हो चुके हैं.
यह फैसला उनके सालभर के कार्यकाल में राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी अहम रहा है. EWS आरक्षण में यह फैसला लेकर राजस्थान अग्रणी राज्यों में शुमार हो गया है. इस फैसले ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के बीच सीएम अशोक गहलोत की छवि को मजबूत किया है. राजस्थान में इस फैसले के बाद अब
के लिए केवल 8 लाख रुपए से कम आय ही पात्रता का मापदंड है. स्थानीय निकाय चुनाव से पहले लिए गए सीएम अशोक गहलोत के इस फैसले का सीधा असर निकाय चुनाव परिणामों में देखने को मिला है.
पहले EWS आरक्षण में संपत्ति का प्रावधान होने से इसके सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहे थे. इसके चलते आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के युवाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था. यह प्रावधान हटने के बाद अब तेजी से EWS के सर्टिफिकेट बन रहे हैं. गत दो माह से भी कम समय में 1.33 लाख से ज्यादा EWS सर्टिफिकेट जारी हो चुके हैं.
EWS आरक्षण में राजस्थान मॉडल अब पूरे देश में लागू करने की मांग उठने लगी है. सीएम अशोक गहलोत ने अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में ही पीएम नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर EWS आरक्षण में से संपत्ति के प्रावधान को हटाने की मांग कर दी थी. अब यह मांग कई राज्यों में उठ रही है. इसका श्रेय सीएम अशोक गहलोत को दिया जा रहा है.
संपत्ति संबंधी प्रावधान हटने के बाद से सामान्य वर्ग के युवाओं में जबर्दस्त उत्सह देखा जा रहा है. इस बड़े फैसले पर सीएम का आभार जताने के लिए कई दिनों तक सीएम निवास पर प्रतिनिधि मंडलों का हुजूम उमड़ता रहा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : December 07, 2019, 11:25 IST