जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार (Gehlot Sarkar) की चिंताएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले जगह-जगह हुई दंगों और तनाव की खबरों ने सरकार की चिंता बढाई तो अब कांग्रेस के ही मंत्री-विधायक (Minister and Legislator) सरकार के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. माननीयों और उनके परिजनों के खिलाफ एक के बाद एक गंभीर प्रकरण सामने आ रहे हैं. उनके खिलाफ थानों में मामले भी दर्ज हो रहे हैं. ऐसे में विपक्ष को सरकार के खिलाफ हमलावर होने का पूरा मौका मिल रहा है. विपक्ष ने इन प्रकरणों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
खास तौर से ‘एम’ फैक्टर की वजह से सरकार के सामने कई संकट खड़े हो गये हैं. मलिंगा, महेश जोशी और महेन्द्र चौधरी से जुड़े प्रकरणों ने सरकार की चिंता ज्यादा बढ़ा रखी है. बिजली विभाग के अभियंता से मारपीट के मामले में बाड़ी विधायक गिर्राज मलिंगा लंबे समय तक पुलिस की पकड़ से दूर रहे. इसके कारण विपक्ष राज्य सरकार पर लगातार हमला बोलता रहा. आखिरकार नव संकल्प शिविर से पहले मलिंगा को सरेंडर करना पड़ा.
मंत्री महेश जोशी के बेटे के खिलाफ दर्ज है रेप केस
वहीं जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी के पुत्र रोहित जोशी के प्रकरण में भी राज्य सरकार को विपक्ष के खूब हमले झेलने पड़ रहे हैं. रोहित जोशी के खिलाफ दिल्ली के एक थाने में एक युवती ने रेप का मामला दर्ज करा रखा है. इस मामले में रोहित की गिरफ्तारी के लिये दिल्ली पुलिस जयपुर का चक्कर काट चुकी है. वह रोहित के संभावित ठिकानों पर दबिश दे चुकी है लेकिन वह दिल्ली पुलिस को नहीं मिला.
उप मुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी का भी नाम आया मर्डर केस में
ये दोनों मामले अभी ठंडे भी नहीं पड़े थे कि उप मुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी के भाई और दूसरे रिश्तेदार नागौर की नावां सिटी में बीते शनिवार को हुये नमक कारोबारी एवं हिस्ट्रीशीटर जयपाल पूनिया मर्डर केस में फंस गए. खुद महेन्द्र चौधरी का नाम भी एफआईआर में आ गया. इस मामले को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने खूब तूल दिया और सरकार को जमकर घेरा.
गहलोत बोले कानून निष्पक्षता से अपना काम करेगा
हालांकि सीएम अशोक गहलोत कह रहे हैं कि ऐसे मामलों को तूल तभी दिया जाना चाहिए जब राजनीतिक हस्तक्षेप किया जा रहा हो. यदि किसी के रिश्तेदार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है तो कानून निष्पक्षता से अपना काम करेगा.
राज्यसभा चुनाव के चक्कर में बड़ी कार्यवाही नहीं?
डॉ. महेश जोशी और महेन्द्र चौधरी दोनों ही सीएम गहलोत के करीबी हैं. दोनों के ही रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज मामलों से सरकार की परेशानी बढ़ी है. खास बात ये है कि ये गंभीर किस्म के अपराध हैं. इनमें माननीय और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं. चूंकि कुछ ही दिनों में राज्यसभा चुनाव होने हैं और इसमें एक-एक विधायक का वोट अहमियत रखता है. लिहाजा माना जा रहा है कि इन मामलों में बड़ी और कड़ी कार्रवाई कर सरकार किसी की नाराजगी भी मोल लेना नहीं चाहती है.
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