गहलोत सरकार पंचायती राज और निकाय चुनाव से पहले फिर जमायेगी अफसरों की फील्डिंग, जल्द होंगे 'जंबो' तबादले

गहलोत सरकार का मानना है कि ब्यूरोक्रेट्स की प्रभावी निगरानी के अभाव में सरकार की योजनाएं ग्रास रूट तक नहीं पहुंच पाई.
आगामी पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी को मथने की तैयारी कर रही है. इसके चलते जल्द ही तबादलों की बयार बहने वाली है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 28, 2020, 8:13 AM IST
जयपुर. राजस्थान के 21 जिलों में पंचायत चुनाव में मात खा चुकी अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी में बदलाव (Change in bureaucracy) करने जा रही है. गहलोत सरकार 12 जिलों के पंचायत चुनाव और 91 शहरी निकायों के चुनाव से पूर्व एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी को मथने की तैयारियां करने में जुटी है. अफसरों के तबादले मंत्रियों और विधायकों की इच्छाओं पर ही होंगे. जनप्रतिनिधियों की डिजायर मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंच गई हैं. गहलोत सरकार अधिकारियों का प्रदर्शन भी देख रही है. उस पर मंथन होने के बाद आईएएस से लेकर आरपीएस अफसरों की जम्बो तबादला सूचियां जारी होंगी.
राज्य निर्वाचन आयोग अजमेर, बांसवाड़ा, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर के 91 निकायों के लिए मतदान करवाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि अधिकांश तबादले भी इन्हीं जिलों में होंगे. उल्लेखनीय है कि 21 जिलों में हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस को एक दर्जन से अधिक जिलों में हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी का परंपरागत वोट बैंक इन चुनावों में खिसक गया. पार्टी अब उसे वापस अपनी ओर खींचने की तैयारी कर रही है.
जयपुर: सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की जमकर की तारीफ, कही ये बड़ी बातें
अजय माकन की फीडबैक बैठकों में उठा मुद्दा
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के हाल ही में कोटा संभाग फीडबैक बैठकों में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने और अफसरों द्वारा सुनवाई नहीं करने का मुद्दा प्रमुखता से उठा. कांग्रेस नेताओं का मानना है की ब्यूरोक्रेट्स की प्रभावी निगरानी के अभाव में सरकार की योजनाएं ग्रास रूट तक नहीं पहुंच पाई. इसलिए पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने ब्यूरोक्रेसी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया।. सयंम लोढ़ा का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी मनमानी करती है. इसका प्रभाव यह होता है पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो पाता है और उन्हें जनता के समाने शर्मिंदा होना पड़ता है.
राज्य निर्वाचन आयोग अजमेर, बांसवाड़ा, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर के 91 निकायों के लिए मतदान करवाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि अधिकांश तबादले भी इन्हीं जिलों में होंगे. उल्लेखनीय है कि 21 जिलों में हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस को एक दर्जन से अधिक जिलों में हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी का परंपरागत वोट बैंक इन चुनावों में खिसक गया. पार्टी अब उसे वापस अपनी ओर खींचने की तैयारी कर रही है.
जयपुर: सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की जमकर की तारीफ, कही ये बड़ी बातें
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के हाल ही में कोटा संभाग फीडबैक बैठकों में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने और अफसरों द्वारा सुनवाई नहीं करने का मुद्दा प्रमुखता से उठा. कांग्रेस नेताओं का मानना है की ब्यूरोक्रेट्स की प्रभावी निगरानी के अभाव में सरकार की योजनाएं ग्रास रूट तक नहीं पहुंच पाई. इसलिए पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने ब्यूरोक्रेसी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया।. सयंम लोढ़ा का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी मनमानी करती है. इसका प्रभाव यह होता है पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो पाता है और उन्हें जनता के समाने शर्मिंदा होना पड़ता है.