वायरस के लगातार म्यूटेशन और बदलते स्ट्रेन के कारण कोरोना (COVID-19) की दूसरी लहर में घातक परिणाम देखने को मिले हैं. बावजूद इसके राजस्थान में अभी तक जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की जांच को शुरू नहीं किया गया है. जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए प्रदेश में लैब और जांच की सुविधा मौजूद है. इसके बावजूद किट्स प्रोवाइड नहीं कराने के कारण जांच अभी तक ये शुरू नहीं किया जा सकता है. तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच ये लापरवाही भारी पड़ सकती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर काफी एग्रेसिव थी और वायरस के लगातार म्यूटेशन और बदलते स्ट्रेन के कारण खतरा और ज्यादा बढ़ गया. देश के अलग-अलग हिस्सों में नए स्ट्रेन ने मुश्किलें और बढ़ा दी. राजस्थान में भी ब्रिटेन के नए ट्रेन की पुष्टि हुई थी.
नए स्ट्रेन की जांच के लिए दिल्ली और पुणे सैंपल भेजे गए थे, जिसके बाद इस बारे में पता चल पाया था. प्रदेश के सबसे बड़े S.M.S मेडिकल कॉलेज में भी जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए बायो सेफ्टी लेवल-3 की पहले से लेब ओर जांच के लिए मशीन उपलब्ध है, लेकिन किट्स नहीं मिलने के कारण अब तक यह जांच सुविधा यहां पर शुरू नहीं हो पाई है. दरअसल जांच के लिए मशीन तो मौजूद है लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए आवश्यक किट्स अभी तक नहीं मिले हैं. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि किट्स मिलने के बाद पायलट प्रोजेक्ट पर यह जांच सुविधा शुरू की जाएगी.
जीनोम सीक्वेंसिंग से यह पता लगाया जा सकता है कि कोरोना का नया स्ट्रेन कैसा है. अगर किसी पर्टिकुलर एरिया में नया स्ट्रेन मिलता है तो इसके घातक होने से पहले ही तमाम व्यवस्थाएं पूरी की जा सकती हैं. मसलन, उस एरिया को आईडेंटिफाई कर आइसोलेट किया जा सके ताकि स्ट्रेन दूसरे जगहों पर ना फेल पाए. गौरतलब है कि पिछले 6 महीने से ज्यादा समय से किट्स का इंतजार किया जा रहा है. चिकित्सा मंत्री ने भी जल्द ही जांच शुरू किए जाने का दावा किया था लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.
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FIRST PUBLISHED : June 03, 2021, 17:52 IST