. राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण (wildlife protection) के लिए एक अच्छी खबर है. जल्दी ही प्रदेश में भालू अभ्यारण्य (Bear sanctuary) बनाया जाएगा. यह प्रदेश का पहला और देश का चौथा भालू अभ्यारण्य होगा. इसे जालोर के सुंधा माता इलाके (Sundha Mata area) में विकसीत किया जाएगा. 443.56 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैलाव वाले इस अभ्यारण्य में जालोर और सिरोही (Jalore and Sirohi) दोनों जिलों का जंगल शामिल होगा.
का वजूद सिर्फ मदारी के डमरू तले दबकर रह गया था. वक्त बदला तो मदारियों पर भालू रखने और उसका तमाशा दिखाने पर पाबंदी लग गई. लेकिन फिर भी भालू जंगल में संरक्षण के लिए तरसता रहा. भालू वो तवज्जो हासिल नहीं कर पा रहा था जो बाघ और बघेरे को दी जा रही थी. राजस्थान में तीन टाइगर रिजर्व बना दिए गए. प्रोजेक्ट लेपर्ड के तहत पैंथर को बचाने के भी काफी प्रयास किए गए जा रहे हैं. इसमें जयपुर के झालाना और जवाई बेरा में लेपर्ड कंजरवेंसी बनाई जा चुकी है. अब पहली बार भालूओं के लिए एक
भालू अभ्यारण्य सिरोही जिले की माउंट आबू सेंचुरी के 326.1 वर्ग किलोमीट क्षेत्र और जालोर के सुंधा माता कंजरवेशन रिजर्व के 117.49 वर्ग किलोमीटर के जंगल को मिलाकर बनाया जाएगा. ये पूरा इलाका प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व से अलग है. इस इलाके में जंगल भी घना है और यहां भालुओं की आबादी भी अच्छी है. यहां उनके के लिए भोजन की भी कमी नहीं है.
वन्यजीव गणना के मुताबिक माउंट आबू के संरक्षित क्षेत्र के जंगलों में 352 भालू हैं. जबकि संरक्षित क्षेत्र के बाहर जालोर जिले में 58 और सिरोही जिले में मांउट के बाहर भी 63 भालू मौजूद हैं. इन दोनों इलाकों में भालू के अलावा पैंथर, भेडि़ये, लकड़बग्घा, पोरक्यूपाइन और चिंकारा की संख्या भी अच्छी खासी है.
हालांकि राजस्थान के तीनों टाइगर रिजर्व में से रंणथंभौर और मुकंदरा हिल्स में भी भालूओं की संख्या अच्छी खासी है, लेकिन उसके बावजूद भालुओं का गढ़ माउंट आबू को ही माना जाता है. माउंट आबू में भालू आए दिन सड़क किनारे घूमते भी देखे जा सकते हैं. लेकिन उन भालुओं को अब प्राकृतिक माहौल में अभ्यारण्य में जाकर देखा जा सकेगा. इससे जालोर और सिरोही के पर्यटन को भी नई दिशा मिलेगी.
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FIRST PUBLISHED : December 15, 2019, 17:20 IST