राजस्थान: 11 स्ववित्त पोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों को सरकार ले सकती है अपने अधीन, यह है वजह

तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने बताया कि स्ववित्त पोषित मोड पर चल रहे कॉलेजों को राज्य सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती है.
Technical education department: राज्य सरकार प्रदेश के 11 स्ववित्त पोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों (Self funded engineering colleges) को जल्द ही अपने अधीन कर सकती है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: January 18, 2021, 7:53 AM IST
जयपुर. राज्य के स्ववित्त पोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों (Self funded engineering colleges) को जल्द ही सरकार अपने अधीन कर सकती है. अब तक खुद अपने खर्चे और बजट तय करने वाले इन कॉलेजों को लेकर तकनीकी शिक्षा विभाग (Technical education department) की बीते काफी समय से चिंताए बढ़ी हुई हैं. इंजिनियरिंग में घटते एडमिशन और धनराशि की कमी से इन कॉलेजों में स्टूडेंट्स की सुविधाओं और संसाधनों को विकसित करने के लिए बजट पर्याप्त नहीं बन पा रहा है.
लिहाजा राज्य सरकार अब इन कॉलेजों को सीधे अपने अधीन लेकर इनकी इनकी समस्याओं को दूर कर करने का प्लान बना रही है. तकनीकी शिक्षा विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है. आने वाले दिनों में विभाग के इस प्रस्ताव को यदि कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो एसएफएस मोड से इन कॉलेजों को मुक्त कर दिया जाएगा.
इन कॉलेजों को राज्य सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती है
तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने बताया कि स्ववित्त पोषित मोड पर चल रहे कॉलेजों को राज्य सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती है. इसके कारण इन तकनीकी संस्थानों की फीस भी आम विश्वविद्वद्यालय कॉलेजों की तुलना में बेहद महंगी होती हैं. इन कॉलेजों को विद्यार्थियों की फीस से ही पूरे खर्च वहन करने होते हैं. साथ ही कर्मचारियों की सैलरी भी खुद ही चुकानी होती है. इसके चलते लंबे समय से शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन संबंधी विसंगितियों की शिकायतें विभाग में मिल रही थी. इसके बाद अब विभाग ने तय किया है कि यदि सीएम की मंजूरी मिल जाती है तो जल्द ही इन कॉलेजों को भी राज्य सरकार के अधीन कर दिया जायेगा ताकि इन्हें भी आम सरकारी कॉलेजों की तरह सरकारी मदद मुहैया हो सके.तकनीकी संस्थायें एआईसीटीई के नियमों से संचालित होती हैं
देश में तकनीकी संस्थायें एआईसीटीई के नियमों से संचालित होती हैं. लेकिन एआईसीटीई ने एसएफएस मोड को लेकर कभी भी कोई स्पष्ट जिक्र नहीं किया हैं. जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में पनपी एसएफएस स्कीम जिसे कई हद तक 'कमाओ खाओ योजना' भी कहा जा सकता है. इस पर अब सरकार रोक की तैयारी कर सकती हैं. इन कॉलेजों को या तो संघटक कॉलेज बनाए जा सकता है या फिर इन्हें सरकार के अधीन किया जा सकता है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे 11 कॉलेज संचालित हैं। इन कॉलेजों को सरकार के अधीन लाने से इनके सभी कर्मचारियों को वेतन भत्ते भी सुनिश्चित हो सकेंगे.
लिहाजा राज्य सरकार अब इन कॉलेजों को सीधे अपने अधीन लेकर इनकी इनकी समस्याओं को दूर कर करने का प्लान बना रही है. तकनीकी शिक्षा विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है. आने वाले दिनों में विभाग के इस प्रस्ताव को यदि कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो एसएफएस मोड से इन कॉलेजों को मुक्त कर दिया जाएगा.
इन कॉलेजों को राज्य सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती है
तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने बताया कि स्ववित्त पोषित मोड पर चल रहे कॉलेजों को राज्य सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती है. इसके कारण इन तकनीकी संस्थानों की फीस भी आम विश्वविद्वद्यालय कॉलेजों की तुलना में बेहद महंगी होती हैं. इन कॉलेजों को विद्यार्थियों की फीस से ही पूरे खर्च वहन करने होते हैं. साथ ही कर्मचारियों की सैलरी भी खुद ही चुकानी होती है. इसके चलते लंबे समय से शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन संबंधी विसंगितियों की शिकायतें विभाग में मिल रही थी. इसके बाद अब विभाग ने तय किया है कि यदि सीएम की मंजूरी मिल जाती है तो जल्द ही इन कॉलेजों को भी राज्य सरकार के अधीन कर दिया जायेगा ताकि इन्हें भी आम सरकारी कॉलेजों की तरह सरकारी मदद मुहैया हो सके.तकनीकी संस्थायें एआईसीटीई के नियमों से संचालित होती हैं
देश में तकनीकी संस्थायें एआईसीटीई के नियमों से संचालित होती हैं. लेकिन एआईसीटीई ने एसएफएस मोड को लेकर कभी भी कोई स्पष्ट जिक्र नहीं किया हैं. जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में पनपी एसएफएस स्कीम जिसे कई हद तक 'कमाओ खाओ योजना' भी कहा जा सकता है. इस पर अब सरकार रोक की तैयारी कर सकती हैं. इन कॉलेजों को या तो संघटक कॉलेज बनाए जा सकता है या फिर इन्हें सरकार के अधीन किया जा सकता है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे 11 कॉलेज संचालित हैं। इन कॉलेजों को सरकार के अधीन लाने से इनके सभी कर्मचारियों को वेतन भत्ते भी सुनिश्चित हो सकेंगे.