Rajasthan: राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से कहा- स्कूलों के खर्चे की ऑडिट के बाद तय हो फीस

सरकार के इस प्रस्ताव का निजी स्कूलों की ओर से यह कहते हुए विरोध किया गया कि सरकार को किसी भी कानून के तहत निजी स्कूलों की फीस निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है.
Private School Fee Case: राज्य सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट से कहा कि कोरोना काल (COVID-19) में जब स्कूल पूरी तरह से बंद रहे तब इन्फ्रास्ट्रक्चर पर उनका खर्चा ना के बराबर हुआ है. लिहाजा उनके खर्चे की ऑडिट (Audit) करवाकर फीस का निर्धारण किया जाये.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 15, 2020, 5:11 PM IST
जयपुर. कोरोना काल (COVID-19) में निजी स्कूलों द्वारा बच्चों की वसूली जा रही फीस (Fees) के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट (High Court) में मंगलवार को भी सुनवाई अधूरी रही. अब बुधवार को सुबह 10.30 बजे एक बार फिर मामले में अदालत सुनवाई करेगी. आज सीजे इंद्रजीत माहंती (CJ Indrajit Mahanti) की खण्डपीठ में राज्य सरकार की ओर कहा गया कि अगर सरकार की 28 अक्टूबर की सिफारिशों से निजी स्कूल और अभिभावकों को आपत्ति है तो कोर्ट इस सत्र की फीस का पुननिर्धारण करवा सकती है.
सरकार की ओर से कहा गया कि फीस का निर्धारण करते समय यह ध्यान रखा जाए कि कोरोना काल में जब स्कूल पूरी तरह से बंद रहे तब इन्फ्रास्ट्रक्चर पर उनका खर्चा ना के बराबर हुआ है. वहीं स्कूलों की फीस कमेटी में किसी सीए अथवा ऑडिटर अभिभावक को शामिल किया जाए. ताकि इस सत्र के स्कूल के खर्चे की सही ऑडिट की जा सके. उसके बाद ही सत्र 2020-21 की फीस का निर्धारण किया जाए.
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निजी स्कूलों की ओर से दर्ज कराया गया यह विरोध
सरकार के इस प्रस्ताव का निजी स्कूलों की ओर से यह कहते हुए विरोध किया गया कि सरकार को किसी भी कानून के तहत निजी स्कूलों की फीस निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है. सरकार ने हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 28 अक्टूबर को इस सत्र की फीस को लेकर विभिन्न सिफारिशें की थी. सरकार द्वारा गठित कमेटी ने कहा था कि जो निजी स्कूलें इस समय ऑनलाइन क्लासेज दे रही हैं वे ट्यूशन फीस का 60 प्रतिशत अभिभावकों से चार्ज कर सकती है. वहीं स्कूलें खुलने के बाद जितना कोर्स संबंधित बोर्ड द्वारा निर्धारित किया जाए उसके हिसाब से स्कूलों को फीस चार्ज करने का अधिकार होगा. कोर्ट में इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने की.
सरकार की ओर से कहा गया कि फीस का निर्धारण करते समय यह ध्यान रखा जाए कि कोरोना काल में जब स्कूल पूरी तरह से बंद रहे तब इन्फ्रास्ट्रक्चर पर उनका खर्चा ना के बराबर हुआ है. वहीं स्कूलों की फीस कमेटी में किसी सीए अथवा ऑडिटर अभिभावक को शामिल किया जाए. ताकि इस सत्र के स्कूल के खर्चे की सही ऑडिट की जा सके. उसके बाद ही सत्र 2020-21 की फीस का निर्धारण किया जाए.
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सरकार के इस प्रस्ताव का निजी स्कूलों की ओर से यह कहते हुए विरोध किया गया कि सरकार को किसी भी कानून के तहत निजी स्कूलों की फीस निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है. सरकार ने हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 28 अक्टूबर को इस सत्र की फीस को लेकर विभिन्न सिफारिशें की थी. सरकार द्वारा गठित कमेटी ने कहा था कि जो निजी स्कूलें इस समय ऑनलाइन क्लासेज दे रही हैं वे ट्यूशन फीस का 60 प्रतिशत अभिभावकों से चार्ज कर सकती है. वहीं स्कूलें खुलने के बाद जितना कोर्स संबंधित बोर्ड द्वारा निर्धारित किया जाए उसके हिसाब से स्कूलों को फीस चार्ज करने का अधिकार होगा. कोर्ट में इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने की.