जयपुर. सरकारी भर्तियों (Government recruitment) को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. खाद्य सुरक्षा अधिकारी भर्ती से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस इंद्रजीत सिंह की अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार नौकरियां (Jobs) देना ही नहीं चाहती है. इसलिए ही ऐसे त्रुटिपूर्ण विज्ञापन निकाले जाते हैं, जिससे भर्तियां कोर्ट में अटक जाए. जस्टिस सिंह ने कहा कि सरकार 1 लाख नौकरियां देने का दावा करती है, लेकिन 80 हजार भर्तियां तो अदालतों में अटकी हुई है. हाईकोर्ट बुधवार को खाद्य सुरक्षा अधिकारी भर्ती से जुड़ी प्रदीप शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें कोर्ट के सामने आया कि भर्ती में चिकित्सा विभाग ने नियमों की अनदेखी की है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में 200 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की भर्ती की घोषणा की थी. उसके बाद चिकित्सा विभाग ने भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया. लेकिन विज्ञापन में केवल शैक्षणिक योग्यता की शर्त ही लगाई गई. प्रशिक्षण की शर्त को इसमें से हटा दिया गया. इसे प्रदीप शर्मा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. उसके बाद कोर्ट ने भर्ती पर अंतरिम रोक लगा दी.
खाद्य सुरक्षा अधिकारी के लिए प्रशिक्षित होना आवश्यक है
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम-1995 के नियमों के तहत खाद्य सुरक्षा अधिकारी के लिए तय शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ एफएसएसआई से मान्यता प्राप्त इंस्टिट्यूट से प्रशिक्षित होना आवश्यक है. लेकिन भर्ती विज्ञापन में केवल शैक्षणिक योग्यता को ही आधार माना गया है. यह गलत है.
एक दर्जन से ज्यादा भर्तियां कोर्ट में
इस समय राजस्थान हाईकोर्ट में अलग-अलग कारणों से दर्जनभर से ज्यादा भर्तियां को चुनौती दी जा चुकी है. इनमें हाल ही में सम्पन्न हुई एपीआरओ भर्ती-2021, रीट भर्ती-2021, ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2021, पटवारी भर्ती 2021 सहित कई ऐसी भर्तियां शामिल हैं. विज्ञापन की शर्तों और विवादित प्रश्नों सहित अन्य कारणों से इन भर्तियों को चुनौती दी गई है. इनकी सुनवाई हाईकोर्ट में अलग-अलग बैंच कर रही है.
लगभग हर सरकारी भर्ती को कोर्ट में चुनौती दी जा रही है
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में बीते कई बरसों से हालात ऐसे हो गये हैं कि लगभग हर सरकारी भर्ती को कोर्ट में चुनौती दी जा रही है. सरकारी सिस्टम की खामियों की वजह से भर्तियां कानूनी विवाद में फंस जाती है. इसके चलते भर्तियां तय समय पर हो ही नहीं पाती है. फिर उनके विज्ञापनों में संशोधन करना पड़ता है. इसके कारण अभ्यर्थियों को काफी परेशानियां उठानी पड़ती है.
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