विधायकों का कहना है कि राजस्थान में बड़े पदों पर काम करने वाली कई महिलाएं भी घर में घूंघट रखती हैं. वे किसी मजबूरी या बंधन से नहीं बल्कि अपनी मर्जी से रखती हैं.
जयपुर. कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बाद अब राजस्थान में हिजाब बनाम घूंघट (Hijab Vs Ghoonghat) पर बहस छिड़ गई है. एक तरफ दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने हिजाब और घूंघट की तुलना की है, लेकिन राजस्थान में कई विधायक घूंघट के समर्थन में उतर आए हैं. एक विधायक तो खुद घूंघट में नजर आईं. विधायक इंदिरा बावरी ने कहा, ‘घूंघट न तो हिजाब की तरह कोई धार्मिक पहचान है और न बंधन. ये सम्मान का प्रतीक है.’ दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा (MLA Sanyam Lodha) ने घूंघट को महिलाओं पर बोझ बताया है. उन्होंने इस प्रथा को खत्म करने वाली पंचायत को 25 लाख रुपये देने का ऐलान कर घूंघट पर बहस की शुरुआत कर दी है.
नागौर जिले के मेड़ता सिटी से विधायक इंदिरा बावरी हमेशा की तरह ही अपने पसंदीदा राजपूती कपड़े पहनकर ही आज विधानसभा पहुंची. विधायक लंहगा, कुर्ती और सिर पर ओढ़नी ओढ़कर आईं. इंदिरा कहती हैं कि यह उनकी पसंद है. बंधन नहीं. न ही वे अपनी पसंद अपनी बेटी या समाज पर थोपती हैं. इंदिरा का कहना है कि हिजाब और घूंघट की तुलना नहीं की जा सकती है.
कई महिलाएं भी घर में घूंघट रखती हैं
दूसरी तरफ राजस्थान के कई अन्य विधायक घूंघट के पक्ष में उतर आए हैं. विधायकों का कहना है कि घूंघट सम्मान का प्रतीक है न कि धर्म का. विधायकों का कहना है कि राजस्थान में बड़े पदों पर काम करने वाली कई महिलाएं भी घर में घूंघट रखती हैं. वे किसी मजबूरी या बंधन से नहीं बल्कि अपनी मर्जी से रखती हैं.
विधायक संयम लोढ़ा ने घूंघट को महिलाओं पर बताया बोझ
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार एवं विधायक संयम लोढ़ा ने घूंघट को महिलाओं पर बोझ बताकर इसे हटाने के लिए अभियान शुरू किया है. लोढ़ा ने घोषणा की है कि महिलाओं को घूंघट मुक्त करने वाली पंचायत को वे विधायक कोष से 25 लाख रुपये देंगे.
ग्रामीण परिवेश में घूंघट परंपरा अब भी जीवित है
राजस्थान में घूंघट कई जातियों में तो प्रतिष्ठा से जुड़ गया है. जयपुर में एक महीने पहले आयोजित हुए क्षत्रिय युवक संघ की रैली में महिलाएं राजपूती पहनावे में आधे घूंघट के साथ पहुंची. राजस्थान में ग्रामीण परिवेश में घूंघट परंपरा अब भी जीवित है, लेकिन अब पहले जैसी बाध्यता नहीं है. धीरे धीरे घूंघट प्रथा खत्म तो हो रही है, लेकिन फिर भी विशेष अवसर पर इसका पालन किया जाता है. वहीं अब लंबा घूंघट आधे घूंघट में बदल गया है. घूंघट की ये प्रथा भी सिर्फ बहुओं में है बेटियों में नहीं.
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