जयपुर. राजस्थान के नगरीय निकायों (Rajasthan urban bodies) में महिला पार्षदों के पतियों और उनके रिश्तेदारों की नेतागिरी अब नहीं चलेगी. महिला पार्षदों के पतियों (Husbands of female councilors) को निकायों की बैठक और अन्य क्रियाकलापों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी) ने आदेश जारी कर दिया है. नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर परिषद, नगरपालिका) की ऑफिशियल मीटिंग और क्रियाकलापों में अब महिला जनप्रतिनिधि के पति और रिश्तेदार भाग नहीं ले सकेंगे. स्वायत्त शासन विभाग ने 21 साल पहले जारी एक परिपत्र का हवाला देते हुए ये आदेश जारी किया है. इन आदेशों की सख्ती से पालना कराने नहीं कराने पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
दरअसल निकायों में अक्सर महिला पार्षदों के पति, पिता, पुत्र या अन्य किसी रिश्तेदार का हस्तक्षेप रहता है. ये अधिकारियों हिदायत देते रहते हैं. कई बार अधिकारियों के साथ विवाद भी खड़ा हो जाता है. इसे लेकर समय-समय पर निकायों के कई अधिकारी और कर्मचारी उच्च स्तर पर शिकायत भी कर चुके हैं. महिला जनप्रतिनिधियों के पति और निकट रिश्तेदारों ने बीते दिनों राज्य सरकार पर दबाव बनाते हुए बैठकों में हिस्सा लेने की अनुमति भी मांगी थी. इस पर अब स्वायत्त शासन विभाग ने परिपत्र जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि निकायों से जुड़ी हुई किसी भी बैठक या क्रियाकलाप में महिला जनप्रतिनिधि के पति या रिश्तेदार हिस्सा लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं.
21 साल पहले भी ऐसा ही परिपत्र जारी किया गया था
महिला जनप्रतिनिधि के पति या रिश्तेदार को बैठकों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाए और न ही बैठकों के क्रियाकलापों में दखलअंदाजी करने की अनुमति दी जाए. विभाग के मुताबिक 21 साल पहले भी ऐसा ही परिपत्र जारी किया गया था. फिलहाल अधिकारी और कर्मचारियों को ताकीद किया गया गया है कि अगर इन आदेशों का उल्लंघन होता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
जयपुर में महिला पार्षदों के साथ साइन बोर्डों पर लिखे हैं उनके पतियों के नाम
जयपुर में हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगम की ओर से हर वार्डों में पार्षदों के नाम से साइन बोर्ड लगाए गए हैं ताकि वार्डवासी को कोई समस्या होने पर साइन बोर्ड देख कर पता चल सके कि उस वार्ड पार्षद का नाम और उसके मोबाइल नंबर क्या हैं. लेकिन मजे की बात यह कि जिन वार्डों में महिला पार्षदों के साइन बोर्ड लगाए गए हैं उनमें उनके पति के नाम भी अंकित कर दिए गए हैं. इसको लेकर आपत्ति भी जताई गई थी, लेकिन आज तक साइन बोर्डों से महिला पार्षद के पतियों के नाम नहीं हटाए गए हैं. महिला पार्षद के पति ही वार्ड में नेतागिरी करते दिखाई देते हैं.
महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण है
जानकारी के अनुसार राजस्थान में निकायों के चुनाव में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण है. चुनाव के वक्त नगरीय निकायों में महिला जनप्रतिनिधि निर्वाचित तो होती हैं लेकिन कई महिला जनप्रतिनिधि कम पढ़ी-लिखी हैं या राजनीति में अपने पति या रिश्तेदारों के भरोसे उतरती हैं. उन्हें राज्य कार्य को संचालित करने में परेशानी आती है. इसे देखते हुए नगर निगम, परिषद और पालिकाओं के क्रियाकलापों तथा बैठकों में उनके पति या कोई और नजदीकी रिश्तेदार सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करते हैं. जबकि वे इसके लिये अधिकृत नहीं हैं. ऐसे में अब इन पर सख्ती के साथ रोक लगाई गई है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Ashok Gehlot Government, Jaipur news, Rajasthan latest news, Rajasthan Politics
HBD: इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ भोजपुरी फिल्मों में आई हैं Yamini Singh, पहली ही मूवी से लोगों को बनाया दीवाना
बेबी शॉवर में देखते ही बनती है Pranitha Subhash की एलिगेंट ज्वैलरी, पारंपरिक लुक में कयामत ढाते दिखीं एक्ट्रेस
Charmy Kaur Birthday: 40 से ज्यादा फिल्मों में दिख चुकीं है 35 साल की चार्मी, फिर छोड़ दी एक्टिंग और करने...