रेहाना रियाज, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष
रिपोर्ट : लोकेश कुमार ओला
जयपुर. अगर द्वेष की भावना से किसी व्यक्ति पर झूठे मुकदमे दर्ज कराते हैं तो अब सावधान हो जाइए. राजस्थान में यह नहीं चलेगा. जांच में मुकदमा झूठा पाया गया तो भारतीय दंड संहिता के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. महिला प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ भी कार्रवाई करने के बारे में महिला आयोग ने निर्देश दिए है. राज्य महिला आयोग ने ऐसे 418 मामलों की पहचान की है. आयोग ने इनमें से 60 मामलों में आईपीसी के तहत कार्रवाई करने का निर्देश संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक को दिए हैं. लेकिन महिला आयोग की इस कार्रवाई को लेकर महिला संगठनों और पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष ने विरोध जताते हुए आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज से इस्तीफे की मांग की है.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने कहा कि आयोग की जिम्मेदारी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना ही नहीं, बल्कि झूठे मामलों में फंसाए हुए पुरुषों की भी न्याय दिलाना है. मामला झूठा पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करने के लिए राज्य महिला आयोग ने संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए हैं, ताकि कोई भी महिला द्वेष-प्रतिशोध की भावना से किसी भी पुरुष के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज नहीं कराए. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन आयोग की ये भी जिम्मेदारी है कि महिलाओं को दिए गए अधिकारों का दुरुपयोग न हो.
आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज ने कहा कि कई बार सामने आता है कि व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज कराया जाता है या फिर रेवेन्यू के चक्कर में कई बार पुरुषों को फंसाया जाता है. उन्होंने कहा कि दुष्कर्म या गैंगरेप की फर्जी शिकायत दर्ज कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. रियाज ने कहा कि हम अभी और मामलों की भी जांच करेंगे, जिनमें झूठी शिकायत दर्ज कराने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. बिना अपराध किसी को प्रताड़ित किया जाता है या जलील किया है तो उसकी सजा मिलनी चाहिए. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा है कि प्रदेश में महिलाओं के अत्याचार के कई मामले झूठे निकलते हैं. लेकिन हमारा अधिकार है सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना.
महिला प्रताड़ना के झूठे मामले में पुलिस अधिकारी भी स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकते हैं. मामले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषिराज सिंह ने बताया कि महिला प्रताड़ना के दो तरह के मामले होते हैं. एक पति-पत्नी के बीच होते हैं, जिसमें थाना स्तर पर पहले समझाइश की जाती है. जिसके बाद कोर्ट भी कई बार आपसी रजामंदी का मार्ग अपनाने की सलाह देता है. लेकिन दूसरी तरह के मामले महिलाएं पति के खिलाफ नहीं कराकर तीसरे व्यक्ति के खिलाफ कराती हैं. ऐसे मामलों में कई बार झूठे मुकदमे होते हैं. जिससे निर्दोष व्यक्ति को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. यदि पुलिस जांच में मामला झूठा पाया जाता है और एफआर लगती है तो शिकायत कर्ता के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज की इस अनुशंसा का महिला सामाजिक संगठनों ने विरोध जताते हुए कार्यालय का घेराव किया. संगठनों ने इस आदेश को काला आदेश बताते हुए आयोग के दफ्तर में विरोध प्रदर्शन किया. महिला संगठनों ने अध्यक्ष से इस आदेश को वापस लेने के साथ ही यथास्थिति की मांग की, जबकि महिला आयोग अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि वे सच बोलने से नहीं डरती. दोषी कोई भी हो सजा जरूर होनी चाहिए. राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि आयोग का काम महिलाओं को न्याय दिलाना है. महिलाओं के अधिकार कैसे संरक्षित रहें, इस पर काम करना है, ना कि इन महिलाओं ने झूठे मामले दर्ज कराए और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करे.
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Tags: Crime against women, Jaipur news, Women Commission
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