Jaipur News: इसी माह होने वाले रायपुर अधिवेशन पर टिकी नजरें
जयपुर. विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजस्थान की राजनीति में इस माह प्रदेश के बजट के बाद काफी उतार-चढ़ाव आ सकता है. एक ओर जहां पायलट समर्थक बजट को सीएम गहलोत के लिए आखिरी मौका बनाने की जोड़-तोड़ में हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल के विस्तार के बारे में भी इसी माह फैसला आ सकता है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि फरवरी माह में गर्मी की आहट के साथ ही राजनीतिक दलों में भी सियासत की गरमी आएगी. 10 फरवरी को प्रदेश के बजट के बाद आने वाले दिनों में एक बार फिर बड़ी उठा-पटक देखने को मिलेगी.
बीजेपी: राजे की सक्रियता के बढ़ी सियासत
पहले बात भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी राजनीति की. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने के साथ ही इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान में भी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए उन्हों बड़ी भूमिका दी जाएगी. लेकिन इस बीच नड्डा के दौरे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उनके साथ ही मंच पर मौजूदगी और फिर बीजेपी के होर्डिंग्स में भी राजे की वापसी से उनके समर्थक उत्साहित हैं और दावा कर रहे हैं कि चुनाव में राजे फिर से पावर में आएंगी.
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पूनियां का कार्यकाल बढ़ेगा या राजे को मिलेगी पावर
बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रदेशाध्यक्ष को लेकर पार्टी में इसी माह फरवरी में ही स्पष्टता आ सकती है. एक खेमा जहां प्रदेश में पूनिया को एक्सटेंशन मिलने की बात कर रहा है. तो वहीं दूसरा खेमा अब वसुंधरा राजे के पावर में आने को लेकर आश्वस्त है. उनका दावा है कि चुनाव से पहले बीजेपी में राजे को प्रदेशाध्यक्ष नहीं तो इलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. ऐसे में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बदलेगा या नहीं और अगर बदलेगा तो कौन होगा, इसी माह इस निर्णय पार्टी हाईकमान की नेताओं के प्रति अप्रोच साफ हो जाएगी.
कांग्रेस: गहलोत वर्सेज पायलट की अनंत कथा
कांग्रेस में सियासी भूचाल की कहानी नई नहीं है. सभी जानते हैं कि गहलोत वर्सज पायलट एपिसोड जुलाई 2020 के बाद से ही निरंतर जारी है. गहलोत और पायलट के बीच और उनके समर्थकों की परस्पर विरोधी बयानबाजी नैतिकता की सारी सीमाएं लांघ चुकी है. गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चाओं के बीच पायलट की दावेदारी दम भरा, लेकिन गहलोत ही अध्यक्ष बनने से पीछे हट गए. पिछले साल 25 सितम्बर को इनकी अदावत के चलते हाईकमान के खिलाफ अनुशासनहीनता की भी सारी सीमाएं लांघी गई. बाद में सीएम ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी ने माफी मांग ली और पायलट को सीएम बनाने का सारा मामला ही ठंडा पड़ गया. हालांकि कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देने और वापस लेने के बीच सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी और बढ़ गई.
प्रदेश के बजट के बाद हो सकता है फैसला
कांग्रेस सत्ता-संगठन में बदलाव पहले हिमाचल-गुजरात विधानसभा चुनाव, फिर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में आगमन और फिर प्रदेश सरकार के बजट के चलते लगातार लंबित होता रहा है. इस बीच राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने नाराज होकर इस्तीफा दे दिया और पंजाब से नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा आ गए. अब राजनीतिक पटल पर ऐसा माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की लड़ाई आखिरकार निर्णायक मोड़ पर आ गई है. इस पूरे सियासी घटनाक्रम का अंतिम पड़ाव राजस्थान का बजट है. इस बजट के बाद ऐसा कोई महत्वपूर्ण इवेंट या राजनीतिक कार्यक्रम प्रदेश में नहीं है. ऐसे में बजट तत्काल बाद हाईकमान राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान को खत्म करने के लिए बड़ा फैसला ले सकती है.
इसी माह होने वाले रायपुर अधिवेशन पर टिकी नजरें
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बजट के बाद पायलट खेमा विधायकों के इस्तीफा प्रकरण को हाईकमान के समक्ष उठाएगा. जानकारों का कहना है कि 24 से 26 फरवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन है. इसमें तमाम कांग्रेसी एकत्रित होकर 2022 में हुए चिंतन शिविर के संकल्प, इस साल होने वाले चुनाव सहित रणनीति और संगठनात्मक मसलों पर मंथन करेंगे. ऐसे में इस अधिवेशन के बाद कांग्रेस राजस्थान पर निर्णय कर सकती है. क्योंकि नौ महीने बाद ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं.
आप: मनीष सिसोदिया इसी माह जयपुर में करेंगे चिंतन
कांग्रेस-बीजेपी के अलावा प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी भी इसी माह एक्टिव हो गई है. पार्टी ने 3 फरवरी से राजस्थान में अपनी मैंबरशिप शुरू कर दी है. इसके साथ ही इसी माह पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया भी जयपुर का दौरा करेंगे. इसके लिए प्रदेशभर के प्रमुख नेताओं को जयपुर बुलाया गया है. सिसोदिया चुनाव पर चिंतन करने के साथ ही बीजेपी-कांग्रेस के कुछ ऐसे नेताओं से मुलाकात करेंगे, जो आप में शामिल हो सकते हैं. अबतक राजस्थान में पार्टी की कोई बड़ी रैली या भाषण नहीं हुआ है, इसलिए जल्द ही चार-पांच शहरों में रोड शो कराने की रणनीति बना सकते हैं.
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